Uttar Pradesh

Gyanvapi Masjid Case: ज्ञानवापी के वजू खाने तक जाने पर अड़ गए थे कोर्ट कमिश्नर, फिर ऐसे बदलता गया माजरा



वाराणसी. उत्तर प्रदेश के जब वाराणसी कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे का निर्देश दिया तब सभी की निगाहें काशी में टिक गई थीं. कोर्ट के निर्देश पर तीनों कोर्ट कमिश्नर की टीम ने 14 मई को सर्वे शुरू किया. इस दौरान प्रशासन की तरफ से सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गये. वहीं, 14-15 मई के सर्वे में धार्मिक चिन्ह मिलने की खबरें आती रहीं, लेकिन जब 16 मई का सर्वे हुआ तो सूत्रों का दावा है कि सालों पुराने दावे सही होते नजर आये.
सूत्रों की मानें तो 16 मई को सर्वे टीम जब वजू खाने की तरफ जा रही थी तो एजाज नाम के शख्‍स ने सर्वे टीम को रोका. उसने सर्वे टीम से कहा कि वजू खाने की तरफ गंदगी बहुत है, इसलिए वहां जाना ठीक नहीं रहेगा. एजाज की बात मान कर सर्वे टीम वहां से जाने लगी, लेकिन थोड़ी दूर जाने के बाद सर्वे टीम के स्पेशल कोर्ट कमिश्नर विशाल सिंह और दूसरे कमिश्नर अजय मिश्रा, अजय प्रताप सिंह और बाकी टीम सदस्यों को लगा कि एक बार जाकर देख लेना चाहिए. इसके बाद पूरी टीम वापस वजू खाने पर पहुंची.
वजू खाने को लेकर किया गया ये दावा स्पेशल कोर्ट कमिश्नर विशाल सिंह समेत सभी लोगों ने वहां जाकर देखा तो वजू खाने के तालाब में पानी था और उसमें रंगबिरंगी मछलियां तैर रही थीं. सूत्रों के मुताबिक, उस तालाब को देखने पर उसके बीचों-बीच एक फुव्वारानुमा वस्तु दिखाई दे रही थी. जब उसके बारे में पूछा गया तो वहां के केयर टेकर ने बताया कि ये ऐसे ही लोहे का स्ट्रक्चर है. इसके बाद जब उस स्ट्रेक्चर को देखने की मांग सर्वे टीम द्वारा की गई तो वहां मौजूद केयर टेकर और दूसरे लोगों ने कहा कि स्ट्रेक्टर देखने के लिए पानी निकालना पड़ेगा और यदि पानी निकाला जाता है तो मछलियों के जीवन को खतरा हो जायेगा.
जब अड़ गए तीनों कोर्ट के कमिश्नर…सूत्रों का दावा है कि उस स्ट्रेक्चर को देखने के लिए तीनों कोर्ट कमिश्नर विशाल सिंह, अजय मिश्रा और अजय प्रताप सिंह अड़ गये. कुछ देर के विरोध के बाद दोनों पक्षों में पानी निकालने को लेकर सहमति बन गई. मछलियों के जीवन को सुरक्षित रखने के लिए वाराणसी प्रशासन द्वारा कोर्ट कमिश्नर के निर्देश पर बड़े बाथ टब मंगाये गये. कर्मचारियों की मदद से तालाब से निकाल कर उन मछलियों को पहले बाथ टब में रखा गया. करीब 150 मछलियों को बाहर निकाला गया. इसके बाद पूरे तालाब से पानी बाहर निकाला गया और फिर जब उस फुव्वारेनुमा स्ट्रक्चर के पास टीम के सदस्य गये तब सभी स्तब्ध रह गए.
शिवलिंग होने का किया जा रहा दावानाम ना बताने की शर्त पर सर्वे टीम के एक सदस्य ने दावा किया कि वो स्ट्रेक्चर पूरी तरह से शिवलिंग की तरह नजर आ रहा था, लेकिन इसके बाबजूद भी केयर टेकर ने उसको शिवलिंग बताने का विरोध किया और कहा कि ये लोहे का है. जब विशाल सिंह ने कहा कि ये लोहे का है तो पानी में होने के बाद भी इस पर जंग क्यों नहीं लगी तो इसका रिप्लाई मुस्लिम पक्ष के लोग नहीं दे सके. इसके बाद टीम ने देखा कि दावा किये जा रहे शिवलिंग के ऊपर भी अलग से निर्माण सामग्री लगी हुई है. पूछने पर बताया गया कि ये फुव्वारा है और इसमें से पानी आता है, लेकिन ये करीब 40-50 साल से खराब है. वहीं, उसको चेक करने के लिए जब पतली पिन डाली गई तो वो पिन 1-2 इंच से ज्‍यादा अंदर नहीं जा सकी. इस दौरान पूरी प्रक्रिया की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी बारीकी से की गई. इस दौरान जब सर्वे टीम ने लोहे के बताए जा रहे तथाकथित फुव्वारे को छुआ तो इसके बाद तस्वीर बदली हुई लग रही थी.
महंत से कराई सफाई तो साफ हुई तस्‍वीर!सूत्रों का दावा है कि फव्‍वारे को छूने से पता चला कि वो लोहे का नहीं है और ये पता चलते ही वहां मौजूद लोग बेहद भावुक हो गये. इसके बाद तुरंत मंदिर से महंत को बुलाया गया. उसकी सफाई के लिए मंहत ने बताया कि दावा किये जा रहे शिवलिंग की सफाई कपड़े से करना ठीक नहीं होता, इसलिए महंत के निर्देश पर और दूसरे पक्ष की सहमति से चीनी मंगाई गई. चीनी इसलिए मंगाई गई क्योंकि धार्मिक कामों में चीनी को शुद्ध माना जाता है. फिर चीनी से दावा किये जा रहे शिवलिंग की साफ-सफाई की गई. इस पूरी प्रक्रिया के दौरान जो माहौल अंदर बन गया था, उसमें बह कर वादी पक्ष के कुछ लोगों ने अनायास ही बाबा महादेव के नारे भी लगा दिये, लेकिन इसका विरोध सर्वे टीम के कमिश्नर ने किया और फिर सब शांत हो गए.
इसके बाद वादी पक्ष के एक वकील विष्णु जैन तुरंत बाहर निकले और सीधे वाराणसी कोर्ट में इस केस को सुन रहे जज रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट में पहुंच गये . इसके बाद उनको एक एप्लिकेशन देकर मौके की सारी स्थिति बताकर उस जगह यानी वजू खाने को सील करने की मांग की. इसके साथ ही 20 से ज्‍यादा मुस्लिम लोगों की भी एंट्री पर बैन की मांग की. स्थिति को देखते हुए कोर्ट ने तुरंत इन मांगों पर मुहर लगाकर वजू खाने को सील करने के आदेश दे दिये. वहीं, अगले दिन मामला जब सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा तो कोर्ट ने आदेश को सीमित करते हुए निर्देश दिया कि वजू खाने को सील रखा जाए, लेकिन मुस्लिम पक्ष की संख्या और नमाज करने पर कोई रोक नहीं रहेगी.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |Tags: Gyanvapi Masjid Controversy, Gyanvapi Masjid Survey, Supreme Court, Varanasi newsFIRST PUBLISHED : May 19, 2022, 19:29 IST



Source link

You Missed

नक्सली हथियार छोड़ने को तैयार! डिप्‍टी CM बोले- लेटर की सत्‍यता की जांच जरूरी
Uttar PradeshSep 17, 2025

महर्षि वाल्मीकि एयरपोर्ट की छत से पानी टपकने लगा, दो साल पुराना निर्माण गुणवत्ता पर उठे सवाल।

अयोध्या में महर्षि वाल्मीकि इंटरनेशनल एयरपोर्ट की छत से पानी टपकने लगा है। यह बातें सोशल मीडिया पर…

Scroll to Top