Last Updated:July 14, 2025, 12:18 ISTGhaziabad News : प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही का दंश झेल रहे मिल्क दुहाई गांव के लोग 40 साल से झेल रहे हैं . अगर बारिश के दिनों में किसी ग्रामीण की मौत हो जाती है तो जलाने की बड़ी मुसीबत खड़ी हो जाती है. लो…और पढ़ेंगाजियाबाद : हर इंसान की ख्वाहिश होती है कि उसकी आखिरी विदाई सम्मान के साथ हो. जब जीवन की सांसें थम जाएं, तब कम से कम एक छत हो, एक जगह हो, जहां उसे अंतिम बार विदा किया जाए. लेकिन गाजियाबाद के मिल्क दुहाई गांव में ऐसा नहीं है. यहां मौत भी मौसम की मार झेलती है. बारिश के इस मौसम में चिता ठीक से जल भी नहीं पा रही. परिजन पन्नी पकड़कर खड़े रहते हैं. हाल ही में इसी गांव की 62 वर्षीय शीला देवी का अंतिम संस्कार एक खाली खेत में बारिश के बीच करना पड़ा.
शीला देवी की मौत 4 जुलाई की शाम करीब 7 बजे हुई थी. बारिश थम नहीं रही थी, और शव को देर तक घर में रखना भी संभव नहीं था. इसलिए जैसे-तैसे खेत में लकड़ियां जुटाईं, गई लेकिन बारिश ने चिता जलाना मुश्किल कर दिया. आखिरकार एक बुलडोजर लाया गया तब चिता में आग लगाई गई. भीगते हुए लकड़ियों ने धीरे-धीरे आग पकड़ी, और लोग हाथों में पन्नी लेकर खड़े हो गए ताकि आखिरी विदाई अधूरी न रह जाए.
बेटे के लिए आसान नहीं है यह देखना
शीला देवी के बेटे आदेश बताते हैं कि 4 तारीख को उनकी मां की मौत हुई थी जिसके बाद गांव में ही खाली पड़ी जमीन पर अंतिम संस्कार किया गया. अंतिम संस्कार के समय बारिश आ गई थी लेकिन कोई टीन शेड न होने के कारण गांव के लोगों को ही त्रिपाल और बुलडोजर की मदद लेनी पड़ी. यह सब देखकर मन बहुत दुखी और गहरा हो गया. बारिश में भीगते हुए चिता को जलते देखना किसी भी बेटे के लिए आसान नहीं होता. हमारी सरकार से गुहार है कि गांव में शमशान घाट बनाया जाए ताकि जो परेशानी हमें हुई वह किसी और को ना हो.
40 साल से यही है कहानीमिल्क दुहाई गांव में ये हाल पहली बार नहीं हुआ. यहां के लोग पिछले 40 सालों से एक शमशान घाट की मांग कर रहे हैं, लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन मिलता है. गांव गाजियाबाद नगर निगम के वार्ड नंबर 15 में आता है. फिर भी अब तक यहां एक भी स्थायी शमशान घाट नहीं बना. गांव वालों ने कई बार शिकायत की, सभाओं में आवाज़ उठाई, नेताओं से गुहार लगाई. सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि शमशान घाट के लिए 30 लाख रुपये का बजट भी पास हो चुका है, लेकिन धरातल पर आज तक एक ईंट तक नहीं रखी गई.
कब होगा समस्या का समाधान?गांव के बुजुर्ग कहते हैं कि मन बहुत दुखी है कि अंतिम संस्कार में भी लोगों को सम्मान नहीं मिल पा रहा है. जेसीबी और त्रिपाल की मदद से अंतिम संस्कार करना पड़ रहा है. नगर निगम की तरफ से 30 लाख रुपये सेशन तो हुए लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ नहीं हुआ. हम प्रशासन से गुहार लगाते हैं कि टीन शेड और चबूतरे की व्यवस्था हो जाए तो काफी राहत मिलेगी. वहीं इस मामले में जब निगम के अधिकारियों से कॉल पर बात की गई तो उनका कहना था कि जल्द इस समस्या का समाधान कराया जाएगा.Location :Ghaziabad,Ghaziabad,Uttar Pradeshhomeuttar-pradeshGround Report : श्मशान में छत नहीं…बारिश के दौरान दाह संस्कार बना चुनौती!