Ground Report : कभी इसमें चलते थे नाव, आज पांव डूबने तक का नहीं है पानी, इतिहास बनती मिर्जापुर की यह नदी

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कभी इसमें चलते थे नाव, आज पांव डूबने तक का नहीं है पानी, इतिहास बनती नदी

Last Updated:June 05, 2025, 07:57 ISTMirzapur News: मिर्जापुर की अघ्जला नदी, जो गंगा की सहायक नदी है, अब सूखकर नाले में बदल गई है. पहले इसमें नावें चलती थीं, पर अब पानी न के बराबर है. संरक्षण के अभाव में नदी का अस्तित्व खतरे में है.X

अघ्जला नदीहाइलाइट्समिर्जापुर की अघ्जला नदी सूखकर नाले में बदल गई है.संरक्षण के अभाव में नदी का अस्तित्व खतरे में है.पहले नावें चलती थीं, अब पानी न के बराबर है.मुकेश पांडेय/मिर्जापुर : नदी को जीवनदायिनी कहा जाता है. फसल हो या पशुओं के लिए पानी की व्यवस्था हो. नदी मुख्य स्रोत में एक है. विंध्यधाम के पास से होकर गुजरने वाली इस नदी में स्नान करने से पाप धुलते हैं. हालांकि, अब खुद जीवित रहने के लिए संघर्ष कर रही है. नदी का पानी सूख गया है और नाले में तब्दील हो गया है. गर्मी का प्रकोप इसी तरह रहेगा तो नदी पूरी तरह सूख जाएगी. नदी के संरक्षण को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है. बारिश के दिनों में नदी सभी कुछ समा लेने को आतुर रहती है. बारिश के बाद नदी सूखते-सूखते नाले में बदल जाती है.
मिर्जापुर जिले के बसही गांव के पास से अघ्जला (पुण्यजला) नदी बहती है. यह नदी 10 किलोमीटर से ज्यादा दूरी से प्रवाहित होती है. जमीन तल से नदी करीब 50 फीट चौड़ी और 50 फीट से ज्यादा गहरी है. गंगा की सहायक नदियों में यह एक है. पहले नदी का जलस्तर इतना होता था कि नाव संचालित होते थे . व्यवसाय के लिए यहां पर पुल भी बनाया गया था. क्योकि पानी अधिक होने की वजह से कई बार नाव नदी में पलट जाती थी और नुकसान होता था. हालांकि, अब इतना भी पानी नहीं है कि पैर तक डूब सके. विंध्याचल को मिर्जापुर शहर से जोड़ने वाली नदी अब जीवित रहने के लिए संघर्ष कर रही है.
तीन वर्षों से हालात हुए और खराब
गगन उपाध्याय ने लोकल 18 से बताया कि नदी कि हालत पिछले तीन वर्षों में बेहद खराब हुई है. पहले इसमें काफी पानी रहता था. हालांकि, तीन सालों से पानी सूख गया है. पहली बार गर्मी में देख रहे है कि पानी न के बराबर पहुंच गया है. यह नदी न सिर्फ प्राचीन है बल्कि पुराणों के अनुसार विशेष है. इसपर ध्यान देने की आवश्यकता है. अगर ध्यान नहीं दिया गया तो नदी का अस्तित्व खत्म हो जाएगा और शायद नदी पुनः इतिहास बन जाए.
स्नान से मिलता है एक अश्वमेघ यज्ञ का फल
विद्यवान पं. त्रियोगी नारायण मिश्र मिट्ठू ने लोकल 18 से बताया कि मां विंध्यवासिनी की नगरी मिर्जापुर में मां गंगा और अघ्जला का संगम तट है. अघ मतलब पाप और जला मतलब जलाना. अर्थात यह नदी पाप को जलाने वाली नदी है. गंगा और नदी के तट पर स्नान करने से एक अश्वमेध यज्ञ के बराबर का फल प्राप्त होता है.Location :Mirzapur,Uttar Pradeshhomeuttar-pradeshकभी इसमें चलते थे नाव, आज पांव डूबने तक का नहीं है पानी, इतिहास बनती नदी

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