Uttar Pradesh

ग्रेटर नोएडा हादसे के बाद देश में आएगा नया लिफ्ट कानून! बिल्डर्स और मैन्युफैक्चरिंग कंपनी की भी होगी जवाबदेही तय



नई दिल्ली. यूपी-बिहार सहित पूरे देश में अब एक ही तरह का लिफ्ट कानून (Lift Act) लागू करने की मांग उठने लगी है. ग्रेटर नोएडा के आम्रपाली ड्रीम वैली प्रोजेक्ट साइट पर हुए हादसे के बाद इसकी मांग में और तेजी आई है. बता दें कि पिछले दिनों आम्रपाली के ड्रीम वैली प्रोजेक्ट पर लिफ्ट हादसे में 8 मजदूरों की मौत हो गई थी. इस हादसे के बाद कई परिवारों के चिराग बुझ गए. देश के अलग-अलग हिस्सों में लिफ्ट गिरने और इसमें फंसने की खबरें लगातार आती ही रहती हैं. लेकिन, लिफ्ट हादसों को लेकर देश में अब तक कोई ठोस कानून नहीं बना है. हालांकि, ग्रेटर नोएडा हादसे के बाद यूपी सरकार ने एफआईआर दर्ज कर आरोपियों की गिरफ्तारी शुरू कर दी है. आम्रपाली के साइट पर काम भी बंद कर दिया गया है.

देश के कुछ राज्यों को छोड़ बाकी राज्यों में लिफ्ट लगाने को लेकर कोई मानक नहीं हैं. किस बिल्डिंग में लिफ्ट लगना चाहिए और किस बिल्डिंग में नहीं, इसके लिए तय मानक फिलहाल नहीं हैं. लिफ्ट के संचालन के साथ दुर्घटना होने पर मुआवजे के प्रावधान का भी जिक्र ठीक ढंग से नहीं किया गया है. हालांकि, देश के कुछ ही राज्यों में लिफ्ट लगाने के लिए लाइसेंस लेने की जरूरत पड़ती है. लेकिन, कई राज्यों में अभी भी बिना लाइसेंस के ही लिफ्ट लगाए जा रहे हैं.

लिफ्ट लगाने के लिए लाइसेंस लेना अनिवार्य है.

लिफ्ट को लेकर बनेगा नया कानून?एक कंस्ट्रक्शन कंपनी के सिविल इंजीनियर अमित कुमार कहते हैं, ‘एक लिफ्ट की आयु अमूमन 20-25 साल तक ही रहती है. 20 से 25 साल के बाद लिफ्ट बदल देनी चाहिए. वह भी तब जब आप उसकी मरम्मति के साथ रखरखाव का ठीक से ध्यान रखते हैं. अगर आप मरम्मत ठीक समय पर नहीं कराते हैं, तो आपको जल्दी भी लिफ्ट बदलवाना पड़ सकता है. मेरे समझ से नेशनल बिल्डिंग कोड 2016 के मुताबिक 15 मीटर से ज्यादा ऊंचाई वाली इमारत के लिए लिफ्ट लगाना अनिवार्य है. इसके साथ ही 30 मीटर से ऊंची बिल्डिंग के लिए स्ट्रेचर लिफ्ट भी अनिवार्य है.’

क्या कहते हैं जानकारवहीं, सुप्रीम कोर्ट के वकील राहुल कुमार कहते हैं, ‘लिफ्ट हादसों में जवाबदेही तय करने में कोर्ट को भी काफी दिक्कतें पेश आती हैं. कई मामलों में तो कोर्ट राज्य सरकारों को ही मुआवजा देने का ऑर्डर देती है, क्योंकि जवाबदेही कहीं न कहीं राज्य सरकार की होती है. बिल्डर तो लिफ्ट लगाकर चला जाता है. बाद में अगर हादसा होता है तो उसके लिए बिल्डर को कैसे जिम्मेदार ठहराया जाए? किसे दोष दिया जाए? लिफ्ट को लेकर कोई मानक तय नहीं हैं. उपभोक्ता मंत्रालय की एजेंसी भारतीय मानक ब्यूरो ने देश के नेशनल बिल्डिंग कोड 2016 के तहत किसी इमारत में लिफ्ट लगाने से लेकर उसके संचालन तक के लिए कुछ नियम और गाइडलाइंस तय किए हैं. लिफ्ट लगाने को लेकर भारतीय मानक ब्यूरो के इन नियमों का पालन करना जरूरी होता है.

नोएडा लिफ्ट हादसे में 8 मजदूरों की मौत हो गई.

किस बिल्डिंग में लिफ्ट लगता है?बता दें कि लिफ्ट लगाने के लिए लाइसेंस लेना अनिवार्य है. घरेलू लिफ्ट लगाने के लिए कम से कम 20 से 25 वर्ग फुट जगह होनी चाहिए. 13-15 मीटर से ज्यादा ऊंचाई वाली इमारत में ही लिफ्ट लगानी चाहिए. ल‍िफ्ट में कम से कम छह लोगों का वजन सहने की क्षमता वाली होनी चाहिए. अगर कोई बिल्डिंग 15 मीटर से ज्यादा ऊंची है तो उसमे 8 पैसेंजर वाली फायर लिफ्ट होनी चाहिए. 15 मीटर से ज्यादा ऊंची इमारतों में लगी लिफ्ट के दरवाजे ऑटोमेटिक होने चाहिए. बीआईएस ने लिफ्ट के स्पीड भी निर्धारित की है. किसी भी लिफ्ट को उस बिल्डिंग के सबसे ऊपर जाने के लिए 60 सेकंड का वक्त होना चाहिए, जिसमें लिफ्ट बिल्डिंग के टॉप फ्लोर तक पहुंच जाए.

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लिफ्ट को लेकर देश के 10 राज्यों में ही नियम हैं. इन 10-11 राज्यों में लिफ्ट लगाने के लिए इस समय लाइसेंस लेने की जरूरत पड़ती है. ये राज्य हैं महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, पश्चिम बंगाल, असम, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली. जानकार मानतें है कि इन राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के अपने लिफ्ट अधिनियम तो हैं, लेकिन वे उतने प्रभावी नहीं हैं..Tags: Delhi-NCR News, Greater noida news, Noida news, UP newsFIRST PUBLISHED : September 20, 2023, 15:56 IST



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