आज मशहूर कवि और गीतकार गोपालदास नीरज की जयंती है. सोशल मीडिया पर तमाम लोग नीरज के गीतों और कविताओं का उल्लेख करते हुए उन्हें अपने-अपने तरीके से याद कर रहे हैं. तमाम कवि और शायर भी नीरज जी के संस्मरणों को साझा कर रहे हैं. प्रसिद्ध कवि कुमार विश्वास ने भी अपने सोशल मीडिया पेज पर एक पुराना वीडियो शेयर किया है.

यह वीडियो गोपालदास नीरज के 93वें जन्मदिन पर लखनऊ में आयोजित समारोह और कवि सम्मेलन का है. कुमार विश्वास और नीरज जी के कई दशकों का साथ रहा है. इस दौरान उन्होंने गोपालदास नीरज से जुड़ी तमाम गतिविधियों को नजदीक से देखा है. साझा किए गए वीडियो में कुमार विश्वास मंच से कहते हैं कि नीरज जी ने उन्हें कुछ दिन पहले आदेशित स्वर में कहा था कि 93वां जन्मदिन बच्चे मना रहे हैं और तुम्हें आना है.

इस कुमार विश्वास ने कहा कि आपने आदेश दे दिया है तो मैं अवश्य आऊंगा और मैं 100वें जन्मदिन तक आऊंगा. लगातार आता जाऊंगा.

कुमार विश्वास के जवाब पर गोपालदास नीरज बोले- 93वां भारी है. इस पर मैंने कहा कि ऐसा बिल्कुल नहीं है. क्योंकि कवि की कोई आयु नहीं होती है. जिसकी यश रूपी काया जरा-मरण के भय से परे है, उसे कवि कहते हैं.

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कुमार विश्वास एक अन्य संस्मरण को याद करते हुए कहते हैं कि मैनपुरी में एक कवि सम्मेलन था. मैं संचालन कर रहा था. नीरजजी मंच पर विराजमान थे. नीरज जी स्वयं अपने आप में कवि सम्मेलन साथ लेकर चलते हैं. नीरज जी के साथ पांच-छह उनके शिष्य थे. उन्होंने मुझसे कहा कि इन्हें भी काव्य पाठ करवाएं. संचालक के नाते मैं थोड़ा नाराज हो गया. मैंने कहा कि कवियों की पहले ही लंबी लिस्ट है ऊपर से नीरज जी अलग से अपने शिष्यों से भी काव्य पाठ करवा रहे हैं. मैंने मंच से कुछ ऐसी बातें कहीं जो सीधे-सीधे ना होकर अप्रत्यक्ष थीं. मुझे लगा कि मैं बड़े जोश में कह रहा हूं और जनता ने खूब ताली भी बजाई. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए दो-चार कवियों ने कहा कि तुम्हें ऐसा नहीं कहना चाहिए था. मुझे लगा कि अब नीरजजी नाराज हो जाएंगे और उनसे संवाद नहीं होगा.

कुमार विश्वास कहते हैं कि इस घटना के लगभग एक हफ्ते बाद बेंगलुरू में गोपाल दास नीरज जी से फिर मुलाकात हुई. मैं उनके पैर छूने गया तो उन्होंने कहा- ‘लाला तुम कौन सी फ्लाइट से जाओगे, हम तुम्हारे साथ चलेंगे.’ तब मैंने जाना कि बड़ा साहित्यकार केवल वही बन सकता है जो बड़ा मनुष्य हो.

कुमार विश्वास कहते हैं कि गोपालदास नीरज हिंदी गीत के गौतम बुद्ध हैं. जिस प्रकार गौतम बुद्ध ने संस्कृत में बंधी सनातन धर्म की छाया को लोक भाषा में परिवर्तित करके उसे जनग्राह्य बना दिया, उसी प्रकार नीरज जी ने पूरे गीत के बड़े मुहावरे को जो पहले खड़ी बोली हिंदी में कहीं सकुचा रहा था, कोष्ठक में बंद था उसे वहां से निकालकर जनता का गीत बना दिया.

कुमार कहते हैं कि नीरज जी से पहले गीत एक विशेष भाषा शैली में बंधा हुआ था उसे मुहावरे की जुबान में लाने का जो कौशल था वह नीरज जी के पास था. बड़ा कवि वही होता है जिसकी कविता मुहावरा बन जाए. जब एक आम आदमी बिना यह जाने कि यह गीत या कविता किसकी है, उसे गुनगुनाता है तो कवि और बड़ा बन जाता है. नीरज ने यही काम किया है.

कुमार विश्वास कहते हैं कि यह मेरा सौभाग्य है कि मैं उस समय में पैदा हुआ जब मैंने नीरज जी के सानिध्य में बैठकर मंच पर काव्य पाठ किया. वह कहते हैं – जो अनहद नाद, जो फकीरी नीरज जी ने जी है, वो शायद ही कोई हिंदी का कवि जी पाए.

कुमार विश्वास गोपाल दास नीरज को याद करते हुए एक कविता कहते हैं जो इस प्रकार है-

रूह जिस्म का ठौर ठिकाना चलता रहता हैजीना मरना खोना पाना चलता रहता है

सुख दुख वाली चादर घटती बढ़ती रहती हैमौला तेरा ताना बाना चलता रहता है

इश्क करो तो जीते जी मर जाना पड़ता हैमर कर भी लेकिन जुर्माना चलता रहता है

जिन नजरों ने काम दिलाया गजलें कहने काआज तलक उनको नजराना चलता रहता है।
.Tags: Hindi Literature, Hindi Writer, Literature, PoetFIRST PUBLISHED : January 4, 2024, 14:38 IST



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