दिवाली के त्योहार के अवसर पर घरों को सजाने के लिए दीये जलाना एक पारंपरिक और पवित्र परंपरा है। लेकिन इस बार आप अपने घरों को सजाने के साथ-साथ प्रकृति के साथ भी जुड़ सकते हैं। बहराइच जिले में एक महिला पूनम गुप्ता है जो पिछले 4 सालों से गोबर की दीप बनाकर अपनी जीविका चला रही है।
पूनम गुप्ता के अनुसार, दीपावली आने से पहले जून और जुलाई से ही गोबर की दीप बनाने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। गोबर को सूखने में काफी समय लगता है, इसलिए इसकी प्रक्रिया को शुरू करने के लिए समय से पहले ही शुरू किया जाता है। गोबर को फ्लावर और तुलसी की बीज में मिलाकर अच्छे से मिक्स किया जाता है, फिर सांचे में डालकर आकार दिया जाता है।
इन दीपों को जलाने के बाद आप इसका उपयोग खाद की तरह अपने किचन गार्डन या गमले में कर सकते हैं। इसमें फ्लावर और तुलसी के बीज डाले जाते हैं, जिससे गमले में डालने के बाद स्वतः अपने आप ही फूल और तुलसी के पौधे निकल आते हैं। इससे एक पंत दो काज बड़े आराम से हो जाता है और गंदगी भी नहीं होती है।
ज्यादातर मिट्टी के दीए जलाने के बाद लोग इधर-उधर फेंक देते हैं, जिससे कूड़ा करकट तो होता ही है साथ ही कोई फायदा भी नहीं होता है। अब आप इन दीपों से उजियारा करने के साथ-साथ लाभ भी उठा सकते हैं।
इन दीपों को आप ₹4 प्रति पीस के हिसाब से और ₹100 पैकेट के हिसाब से ले सकते हैं। ₹100 पैकेट में 30 पीस होते हैं। अगर आप इन दीपों को लेना चाहते हैं, तो आपको बहराइच शहर के पानी टंकी चौराहा सीडीओ आवास के बाहर आना पड़ेगा, जहां पर आपको महिलाओं द्वारा चलाई जाने वाला B2 बाजार बड़े आराम से दिख जाएगा।
यहां पर आपको पूनम गुप्ता नाम की महिला गणेश जी लक्ष्मी जी की प्रतिमा मोमबत्ती समेत गाय के गोबर से बनी हुई दीप को भी बेचते हुए दिख जाएंगी।