गन्ने की कटाई के बाद लेना चाहते हैं पेड़ी वाली 2 फसल? न करें गैप फिलिंग ये गलती
गन्ना एक ऐसी फसल है जिससे एक बार बुवाई करने के बाद 3 बार तक फसल ली जा सकती है. ऐसे में गन्ने की कटाई के बाद खेत खाली दिखते ही किसान अक्सर जल्दबाजी में गैप फिलिंग करने लगते हैं, लेकिन यही जल्दबाज़ी बड़ी गलती बन जाती है. अगर कटाई के बाद गैप फिलिंग सही तरीके से नहीं की गई, तो अगले साल गन्ने की पैदावार 20-30% तक घट सकती है.
उत्तर प्रदेश में गन्ने की कटाई जोरों पर है. एक्सपर्ट का कहना है कि कटाई के तुरंत बाद किया गया पेड़ी प्रबंधन अगले पूरे सीजन की पैदावार तय करता है. इसलिए किसानों को इस समय विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है, ताकि लागत कम हो और उत्पादन अधिक मिल सके.
उत्तर प्रदेश गन्ना शोध संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. श्री प्रकाश यादव ने बताया कि खेत से गन्ना काटने के बाद कई जगहों पर पुराने पौधे प्राकृतिक रूप से खराब हो जाते हैं या मर जाते हैं. ऐसे पौधे हटने के बाद पंक्तियों के बीच खाली जगहें बन जाती हैं, जिससे अगली फसल में उत्पादन कम हो जाता है. किसानों को चाहिए कि कटाई समाप्त होते ही खेत की पत्तियां तुरंत निस्तारित कर दें और उसी समय खाली स्थानों की भराई शुरू कर दें.
कैसे करें गन्ने के खेतों में गैप फिलिंग?
डॉ. यादव ने बताया कि यदि एक ठूंठ से दूसरे ठूंठ के बीच दूरी एक फीट से अधिक हो जाए, तो यह अगली फसल की उपज को 20-30 प्रतिशत तक घटा सकता है. इसलिए कटाई के तुरंत बाद गैप फिलिंग करना बेहद जरूरी है. अक्सर किसान गलती से दो या तीन आंख वाले गन्ने के टुकड़े सीधे खेत में लगा देते हैं, लेकिन यह तरीका अधिक कारगर नहीं माना जाता. गैप फिलिंग के लिए सिंगल बड विधि से तैयार पौधे, 20-25 दिन पुरानी नर्सरी या फिर पॉलीबैग में विकसित पौधों का उपयोग करना चाहिए. इन पौधों की जड़ें पहले से मजबूत होती हैं, जिससे वे मिट्टी में जल्दी सक्रिय होकर तेजी से बढ़वार पकड़ लेते हैं और अगली फसल में पूरी क्षमता के साथ उत्पादन देने में मदद करते हैं.
गन्ने के पत्तों से करें ये काम
गन्ने की कटाई के बाद मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है, इसलिए किसानों को संतुलित मात्रा में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की पूर्ति करनी चाहिए. इससे पेड़ी की बढ़वार तेज होती है और अगले सीजन में गन्ने की मोटाई व लंबाई दोनों अच्छे स्तर पर मिलती हैं. गन्ने की कटाई के बाद खेत में बड़ी मात्रा में सूखी पत्तियां गिरती हैं. इन्हें जलाने के बजाय खेत में सड़ाकर मिलाना चाहिए, जिससे मिट्टी में जैविक पदार्थ बढ़ता है और नमी सुरक्षित रहती है.

