Last Updated:December 19, 2025, 15:04 ISTअगर गन्ने की कटाई का दौरान किसी भी गन्ने की पोरी, गन्ने की जड़ कही भी गन्ने में लाल रंग दिखाई दे ऐसे पौधों को किसान जड़ सहित निकालकर के गड्ढे में दबाकर के नष्ट कर दे या ऐसे पौधे को जड़ सही जला दी जिससे इसका प्रसार ना हो सके. साथ ही जिस स्थान पर यह पौधा पाया गया है वहां बिलीचिंग पाउडर या नमक को बखेर दे जिससे ये बीमारी वही पर खत्म हो जाए.सहारनपुर : पश्चिमी उत्तर प्रदेश का सहारनपुर जिला गन्ने की खेती के लिए एक प्रमुख शुगरकेन बेल्ट के रूप में जाना जाता है. यहां बड़ी संख्या में चीनी मिलें और गन्ना आधारित उद्योग स्थापित हैं. किसान नई तकनीकों और वैज्ञानिक तरीकों से बेहतर उत्पादन ले रहे हैं, वहीं जैविक खेती को भी तेजी से अपना रहे हैं. हालांकि, गन्ना किसानों को अब भी समय पर भुगतान, उचित मूल्य और फसलों में लगने वाली बीमारियों जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.
इस समय चीनी मिलें चालू हो चुकी हैं और किसान गन्ने की कटाई कर मिलों तक आपूर्ति कर रहे हैं. लेकिन यदि कटाई के दौरान गन्ने के अंदर या पोरी में लाल रंग दिखाई दे, तो यह किसानों के लिए गंभीर चेतावनी है. यह लक्षण गन्ने की बेहद खतरनाक लाल सड़न रोग (रेड रॉट) के संकेत होते हैं, जिसे किसान गन्ने का ‘कैंसर’ भी कहते हैं. यह रोग पूरे खेत को धीरे-धीरे नष्ट कर सकता है.
लाल सड़न रोग के लक्षणकृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉ. आई.के. कुशवाहा ने बताया कि गन्ने की पोरी या जड़ों में लाल रंग, दुर्गंध या सफेद धब्बे दिखाई देना लाल सड़न रोग का प्रारंभिक लक्षण है. यह एक फफूंद जनित बीमारी है, जिसने गन्ने की कई उन्नत किस्मों को भी नुकसान पहुंचाया है जैसे ही खेत में दो-चार संक्रमित गन्ने दिखाई दें, किसानों को तुरंत उपाय करना चाहिए. ऐसे गन्नों को जड़ सहित उखाड़कर गड्ढे में दबा देना या जला देना चाहिए, ताकि रोग का प्रसार अन्य पौधों तक न हो सके.जिस स्थान पर संक्रमित पौधा पाया गया हो, वहां ब्लीचिंग पाउडर या नमक का छिड़काव करना चाहिए, जिससे रोगाणु वहीं नष्ट हो जाएं.
गन्ने के खेतों में करें ये उपायडॉ. कुशवाहा ने चेतावनी दी कि लाल सड़न रोग से प्रभावित खेतों में रोटावेटर का उपयोग बिल्कुल नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे संक्रमित गन्ने के अवशेष पूरे खेत में फैल जाते हैं और बीमारी तेजी से फैलने लगती है. उन्होंने इस रोग के जैविक नियंत्रण के लिए ट्राइकोडर्मा हरजेनियम के प्रयोग की सलाह दी. इसके लिए 2 किलोग्राम ट्राइकोडर्मा, 2 किलोग्राम गुड़, 1 किलोग्राम बेसन और 200 लीटर पानी को मिलाकर घोल तैयार किया जाए और उसे 7 दिनों तक छांव में सड़ने के लिए छोड़ दिया जाए. तैयार घोल को सिंचाई के पानी के साथ नाके पर रखकर खेत में प्रवाहित करना चाहिए. इस जैविक फफूंदनाशक का दो बार प्रयोग करना अत्यंत आवश्यक है. इससे खेत में मौजूद लाल सड़न रोग के बीजाणु नियंत्रण में रहते हैं और गन्ने की गिरी हुई पत्तियां भी तेजी से सड़ जाती हैं.About the Authormritunjay baghelमीडिया क्षेत्र में पांच वर्ष से अधिक समय से सक्रिय हूं और वर्तमान में News-18 हिंदी से जुड़ा हूं. मैने पत्रकारिता की शुरुआत 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव से की. इसके बाद उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड चुनाव में ग्राउंड…और पढ़ेंLocation :Saharanpur,Saharanpur,Uttar PradeshFirst Published :December 19, 2025, 15:04 ISThomeagricultureगन्ने की जड़ों में दिख रहा लाल रंग? बेसन, गुड़, ट्राइकोडर्मा से करें ये उपाय

