Uttar Pradesh

गजब! 3 साल की भव्या को याद हैं तमाम श्लोक, स्तोत्र और पाठ, आप भी सुनकर हो जाएंगे हैरान, देखें Video



सनन्दन उपाध्याय/बलिया: कहा जाता है कि सबसे पहले गुरु माता-पिता होते हैं. घर का परिवेश ही कहीं न कहीं बच्चों के सफलता और असफलता का कारण बनता है. घर का परिवेश बच्चों के जीवन का एक अमूल्य भाग है. घर के वातावरण और परिवेश से ही बच्चों की जीवनचर्या का शुभारंभ होता है. बच्चों को जिस वातावरण और जिस परिवेश में ढाला जाए. उसमें बच्चे ढल जाते हैं. हम बात कर रहे हैं 3 साल की एक छोटी बच्ची की, जिसने हर किसी को एक बड़ा संदेश देने का काम किया है.

कहा जाए तो घर के परिवेश का महत्व इस बच्ची में कूट-कूट कर भरा है. अपने पिता को पूजा-याचना करते देख इस बच्ची ने तमाम संस्कृत के श्लोक, स्तोत्र और चालीसा जैसे तमाम पाठ कंठस्थ कर लिए हैं. खास बात तो यह है कि इसे किसी ने सीखाने का भी प्रयास नहीं किया. यह अपने पिता के कामों को देखकर सब कुछ सीख गई.

पिता को देख खुद ही सीखा सबकुछबच्ची भव्या के पिता अरुण कुमार ओझा बताते हैं कि हमने अपनी बच्ची को श्लोक, स्तोत्र, भजन और चालीसा वगैरह कभी नहीं सिखाया. मैं पूजा पाठ करता हूं. उसको देख कर ही इसने यह सब कुछ इतनी कम उम्र में याद कर लिया है. यूट्यूब पर देखने के बाद बच्ची की जिद है, कि मैं वाराणसी के पाणिनी कन्या महाविद्यालय में पढ़ूंगी और मुझे आचार्य जी पढ़ाएंगी.

ये है इस छोटी बच्ची का कलातीन वर्षीय बच्ची भव्या ओझा ने इतनी कम उम्र में तमाम श्लोक, स्तोत्र और भजन बिल्कुल कंठस्थित कर लिए हैं. कोई श्लोक भजन इत्यादि का जिक्र करते ही बच्ची फटाफट सुना देती है. बच्ची के पिता ब्रह्माणी देवी मंदिर के पुजारी हैं. जो जिले के आनंद नगर कॉलोनी में निवास करते हैं. कहीं पूजा पाठ करने जाते हैं तो अपने साथ इस बच्ची को लेकर जाते हैं.

घर का माहौल का असरकरणवश बच्ची ने अपने पिता के कार्यों को देखकर उसे अपने जीवनचर्या में उतारने का लाजवाब प्रयास किया है. इस बच्ची के कला को जिसने भी देखा एक बार भावुक जरूर हो गया. इस बच्ची ने हर किसी को एक बड़ा संदेश देने का काम कर दिया है. बच्ची ने यह साबित कर दिया कि जिस प्रकार का परिवेश घर से मिलता है. वह कहीं न कहीं सफलता और असफलता का कारण बनता है.

देख-सुन बच्ची ने सब किया कंठस्थबच्ची घर में पूजा पाठ करते हुए अपने पिता को देखकर वो सब कुछ याद कर लिया, जो पिता हर रोज पूजा पाठ में किया करते हैं. बच्ची को हनुमान चालीसा, दुर्गा चालीसा, राम स्तुति, विष्णु स्तुति, शिव स्तुति और दुर्गा सप्तशती के श्लोक से लगायत तमाम भजन कीर्तन इस छोटी बच्ची ने पूरी तरह से कंठस्थ कर लिया है. भव्या के मुख से यह सब महत्वपूर्ण मंत्र, भजन और स्तोत्र सुनकर हर कोई बड़ा प्रसन्नचित होता है.

सभी के लिए बनी प्रेरणाइस छोटी बच्ची के अंदर इतने कम उम्र में जिस प्रकार का निखार आया है. वह कहीं न कहीं हर किसी के लिए प्रेरणास्रोत बन गया है. न स्कूल, न कोचिंग, न ऑफलाइन और न ही ऑनलाइन केवल देखकर और सुनकर बच्ची ने वह हर चीज कंठस्थ कर लिया. जो बच्चों के संस्कारों में अहम योगदान रखता है. यह कहने में जरा भी संकोच नहीं होगा कि जिस तरह का बच्चों को परिवेश दिया जाए, उसी प्रकार के परिवेश में बच्चे ढल जाते हैं और निखर जाते हैं.
.Tags: Ballia news, Local18, Uttar pradesh newsFIRST PUBLISHED : October 25, 2023, 10:02 IST



Source link

You Missed

Normal BMI doesn't rule out obesity health risk, global study finds
HealthOct 29, 2025

सामान्य वजन सूचकांक (बीएमआई) से मुक्ति नहीं है कि व्यक्ति को मोटापे की स्वास्थ्य जोखिम से मुक्ति नहीं है, एक वैश्विक अध्ययन ने पाया है।

नई ख़बर: सामान्य वजन के लोग भी मोटापे के शिकार हो सकते हैं दशकों से बीएमआई (बॉडी मास…

Scroll to Top