उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में हर नवरात्र लगने वाला “भूतों का मेला” अपने रहस्यमयी और अद्भुत अनुभवों के लिए प्रसिद्ध है. यह मेला केवल भव्य उत्सव नहीं, बल्कि भूत-प्रेत बाधा से मुक्ति और आत्मिक शांति का केंद्र माना जाता है. विभिन्न प्रांतों से लोग यहां बाबा की कृपा पाने और मानसिक, शारीरिक परेशानियों से राहत पाने के लिए आते हैं।
मेले में अजीबोगरीब घटनाएं देखने को मिलती हैं. यहां कोई भी व्यक्ति, जिस पर मृत आत्मा का साया है, बाबा के दरबार में आते ही प्रकट हो जाता है. कहा जाता है कि यहां आने वाले लोग भूत-प्रेत बाधा से राहत पाते हैं. इसके अलावा, कुष्ठ रोग, चर्म रोग और अन्य परेशानियों के लिए भी भक्त यहां बाबा की शरण में आते हैं।
नवका बाबा मंदिर और उसकी पौराणिकता जिले के मनियर में स्थित नवका बाबा मंदिर इस मेला का केंद्र है. पुजारी श्रीराम उपाध्याय ने बताया, “नौका बाबा ब्राह्मण परिवार के थे, जिनको टोटके के माध्यम से मार दिया गया था. इसके बाद वे ब्रह्म बन गए.” पुजारी ने यह भी बताया कि प्राचीन काल में उनके परिवार में एक तांत्रिक थे, जिनके मार्गदर्शन से बाबा ने यहां स्थान पाया था।
मेले का माहौल अत्यंत रहस्यमयी और विचित्र लगता है. हर कोई अपने दर्द और आशा के साथ यहां पहुंचता है. लोग छोटे-छोटे घर बना कर रहते हैं और अपनी जीवनचर्या यहीं करते हैं. यहां किसी अन्य मुद्दे की चर्चा नहीं होती, केवल भूत-प्रेत और आत्मिक मुक्ति को लेकर ही बातचीत होती है. गोरखपुर निवासी नीलम ने बताया कि उनके भसुर की मृत्यु के बाद उनकी आत्मा उन्हें परेशान कर रही थी. बाबा के दरबार में आने के बाद उनकी आत्मा नीलम के शरीर में आ गई, और नीलम बाल खोलकर झूमने लगी. पास में बैठे सोखा ने मृत्यु भसुर से निवेदन किया कि वे नीलम के शरीर में प्रवेश न करें.
मेले में कई अनुभवों में महिलाएं तेज आवाज में रोती और अजीब भाषा में गाती हुई नजर आती हैं. पुरुष भी समान अनुभव साझा करते हैं. यहां के लोगों का मानना है कि यहां आने से लोग भूत-प्रेत बाधा से मुक्ति पा सकते हैं और आत्मिक शांति प्राप्त कर सकते हैं.

