गाजीपुर का किला और उसकी रहस्यमयी सुरंग
उत्तर प्रदेश के गाजीपुर शहर को पुराने समय में गाधिपुर कहा जाता था. यह शहर रामायण काल और महर्षि विश्वामित्र के पिता राजा गाधि से जुड़ा है. कहा जाता है कि राजा गाधि ने इस क्षेत्र में अपनी भव्य राजधानी स्थापित की थी. इसी कारण इसे “गाधिपुर” कहा जाने लगा. 1330 ईस्वी में मुस्लिम शासक गाजी मलिक ने इस पवित्र भूमि पर आतंक फैलाया और अपने अधिकार को कायम किया. उसके शासन और उत्पीड़न के कारण गाधिपुर का नाम धीरे-धीरे बदलकर गाजीपुर पड़ गया, लेकिन असली गौरव और रामायण काल की पवित्रता आज भी इस धरती पर जीवित है.
गाजीपुर का किला इस शहर की धरोहर है, जो वर्तमान में चीतनाथ घाट के पास है और प्राचीन गौरव की गवाही देता है. यह किला न केवल वास्तुकला के लिए खास है, बल्कि इसके भीतर एक रहस्यमयी सुरंग भी मौजूद है, जिसकी कहानियां स्थानीय लोगों में सदियों से जीवित है. स्थानीय निवासी संजय वर्मा सम्राट बताते हैं कि 50 साल पहले उन्होंने खुद इस सुरंग में प्रवेश किया था. वे कहते हैं, “सुरंग ताड़ीघाट से होते हुए जमानिया सैयद राजा की तरफ निकलती है. हम अंदर लगभग 100 मीटर तक गए. वहां सीढ़ियां बनी हुई थीं, लेकिन अंधेरे और मलबे की वजह से आगे जाना संभव नहीं था.”
लोग कहते हैं कि सुरंग के अंदर दो मुह वाले सांप रहते हैं और उसमें हमेशा चमगादड़ मिलेंगे. ये दोनों इस सुरंग को और डरावना बनाते हैं. राजा लोग युद्ध के समय इस सुरंग का उपयोग करते होंगे, लेकिन आज इसका रहस्य अज्ञात है. संजय वर्मा बताते हैं कि वर्तमान में काले संस्कृत विद्यालय के पास सुरंग का एक हिस्सा सुरक्षित है, लेकिन कई हिस्से मलबे और अंधेरे में दब चुके हैं. वे कहते हैं कि इसे देखकर उन्हें एहसास हुआ कि यह किला केवल पत्थरों का ढांचा नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक और रणनीतिक केंद्र रहा है.