गाजीपुर में हवा इतनी खराब हो चुकी है कि सांस लेना मुश्किल हो गया है. शहर के कई क्षेत्रों में सड़क निर्माण की अनदेखी और उखड़ी हुई गिट्टी-बालू अब लोगों की सांसों में धूल बनकर मिल रही है. फूलनपुर से बड़ी बाग तक सड़क पर उड़ती धूल फूलनपुर क्रॉसिंग से बड़ी बाग तक की सड़क पर धूल ऐसे उड़ती है जैसे किसी ने अबीर उड़ा दी हो. यह सड़क पिछले छह महीनों से बदहाल है. सड़क की ऊपरी परत उखड़ चुकी है, गिट्टी और बालू अब खुले में फैली हुई है. सिंचाई विभाग से लेकर विकास भवन तक भी यही हाल है; सड़कें टूटी हुई हैं और हवा में मिट्टी के कण फैले हुए हैं.
महादेव से गोराबाजार तक अधिकारी रोज गुजरते हैं. महादेव से गोराबाजार तक की सड़क जिले का सबसे व्यस्त मार्ग है. इसी रास्ते से SP, DM और अन्य अधिकारी रोजाना गुजरते हैं. नगर पालिका हर हफ्ते सफाई अभियान चलाती है, लेकिन सड़कों पर उड़ती धूल शायद इस अभियान को देखकर हंस रही हो. धूल ने तो अब ‘स्थायी नागरिकता’ ले ली है; हर मोड़, हर गली में उसका झंडा लहरा रहा है. स्थानीय लोगों का कहना है कि सड़क की मरम्मत न होने के कारण अब यह रास्ता खुद ‘धूल का बादल’ बन चुका है. धूप में हल्की हवा भी उठती है, तो पूरा क्षेत्र धूल में लिपट जाता है. लोगों की परेशानी और सेहत पर असर धूल के कारण हवा में PM 2.5 और PM 10 जैसे सूक्ष्म कणों की मात्रा कई गुना बढ़ गई है. इसका सीधा असर लोगों के फेफड़ों पर पड़ रहा है. शिक्षक अवनीश प्रताप ने बताया, सुबह स्कूल जाते समय मास्क लगाना जरूरी हो गया है. सांस लेने के बाद गला भारी हो जाता है, कभी-कभी सीने में दर्द भी होता है. वहीं UPSC अभ्यर्थी सौरभ सिंह ने कहा, गाजीपुर को जैसे लावारिस छोड़ दिया गया है. दिल्ली जैसे बड़े शहरों में हवा सुधर रही है और यहां हालत दिन-ब-दिन बिगड़ रहे हैं. यहां तो फैक्टरी नहीं, फिर भी प्रदूषण है.
वर्तमान में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 280 के आसपास पहुंच गया है, जिसे “खतरनाक स्तर” माना जाता है. स्थानीय पर्यावरण विभाग के आंकड़ों के अनुसार, शहर के कुछ हिस्सों में AQI कभी-कभी 500 तक भी दर्ज किया गया है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इस स्तर की हवा “बहुत ही अस्वस्थ” श्रेणी में आती है और इससे अस्थमा, सांस की बीमारी, और हृदय रोग के मामले बढ़ सकते है.
सफाई और मरम्मत की जरूरत लोगों का कहना है कि प्रशासन को अब सड़क मरम्मत और नियमित सफाई पर ध्यान देना चाहिए. शहर के पर्यावरण प्रेमी ईश्वर चंद कहते हैं, यह सिर्फ सड़क का नहीं, हवा का भी मुद्दा है. अगर यही हाल रहा तो आने वाले महीनों में गाज़ीपुर में सांस लेना मुश्किल हो जाएगा.