Uttar Pradesh

गाजियाबाद समाचार : स्मॉग से बढ़ी चिंता, बच्चों की सुरक्षा के लिए अब ऑनलाइन होगी पढ़ाई

गाजियाबाद में स्कूलों के बंद होने का फैसला प्रदूषण की गंभीरता को दर्शाता है. अब उम्मीद है कि प्रशासनिक कदम और जनता की सजगता मिलकर इस धुएं और स्मॉग से राहत दिलाएंगे, ताकि बच्चे फिर से खुली हवा में सांस ले सकें.

दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. गाजियाबाद का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 450 के पार पहुंचने के बाद प्रशासन ने बड़ा फैसला लिया है. जिले में नर्सरी से कक्षा 5 तक के सभी स्कूल अगले आदेश तक बंद रहेंगे और ऑनलाइन माध्यम से चलेंगे. प्रदूषण से बच्चों की सेहत बिगड़ने की आशंका के चलते प्रशासन ने यह आपात कदम उठाया है. गाजियाबाद का वायु प्रदूषण इन दिनों खतरनाक स्तर पर है. सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के अनुसार, शहर का AQI 460 तक पहुंच गया है, जो “गंभीर” श्रेणी में आता है. धूल, धुआं और स्मॉग ने पूरे जिले को अपनी गिरफ्त में ले लिया है. सुबह और शाम के वक्त दृश्यता घटकर 400 मीटर से भी कम रह जाती है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इस स्तर का प्रदूषण बच्चों, बुजुर्गों और दमा के मरीजों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है. सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन, और खांसी-जुकाम के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है.

गाजियाबाद के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) ने आदेश जारी किया है कि नर्सरी से कक्षा 5 तक के सभी स्कूल, चाहे वे सरकारी, सहायता प्राप्त या निजी हों, अब ऑनलाइन माध्यम से ही चलेंगे. यह आदेश अगले निर्देश तक प्रभावी रहेगा. जिला प्रशासन ने कहा है कि “बच्चों को प्रदूषित वातावरण में स्कूल लाना खतरनाक है, इसलिए ऑनलाइन शिक्षा ही सुरक्षित विकल्प है.” साथ ही, कोचिंग संस्थानों को भी छोटे बच्चों की कक्षाएं ऑनलाइन कराने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि वे भी घर से ही सुरक्षित अध्ययन जारी रख सकें.

स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले एक सप्ताह में सांस की दिक्कत और एलर्जी के मरीजों की संख्या 40% तक बढ़ी है. खासकर बच्चों और बुजुर्गों में अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और खांसी जैसी समस्याएं तेजी से उभर रही हैं. डॉ. संजीव गुप्ता, जिला अस्पताल के श्वास रोग विशेषज्ञ, बताते हैं, “छोटे बच्चों की फेफड़ों की क्षमता पूरी तरह विकसित नहीं होती, ऐसे में यह प्रदूषण उनके स्वास्थ्य के लिए घातक है. बेहतर है कि बच्चे घर के अंदर ही रहें.”

गाजियाबाद में स्कूलों के ऑनलाइन होने का फैसला प्रदूषण की गंभीरता को दर्शाता है. अब उम्मीद है कि प्रशासनिक कदम और जनता की सजगता मिलकर इस धुएं और स्मॉग से राहत दिलाएंगे, ताकि बच्चे फिर से खुली हवा में सांस ले सकें.

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