Last Updated:June 15, 2025, 23:57 ISTGhaziabad news in hindi : गाजियाबाद के सिकरी खुर्द गांव में 350 साल पुराना वटवृक्ष 1857 की क्रांति का गवाह है. जब देश के पहले स्वतंत्रता संग्राम की चिंगारी यहां पहुंची और उसके बाद जो हुआ, सुनकर रूह कांप जाएगी.गाजियाबाद. दिल्ली से सटे गाजियाबाद के मोदीनगर का सिकरी खुर्द गांव आपने आप में खास है. यहां एक मंदिर इसे अनूठा बनाता है, जिसे स्थानीय लोग श्रद्धा और इतिहास दोनों की नजर से देखते हैं. सिकरी माता के इस मंदिर में भक्तों की भीड़ कभी कम नहीं होती. इस मंदिर के परिसर मौजूद एक प्राचीन वटवृक्ष (बरगद का पेड़) न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की वीरगाथा भी समेटे हुए है. कहा जाता है कि यह वटवृक्ष करीब 350 साल पुराना है और गांव के लोग इसे “बूढ़ा दादा” कहकर पुकारते हैं. इसकी सबसे बड़ी पहचान 1857 की क्रांति से जुड़ी है, जब देश के पहले स्वतंत्रता संग्राम की चिंगारी मेरठ से उठी थी.इतिहास का काला चैप्टर
इतिहासकार बताते हैं कि जब 1857 में मेरठ से सबसे पहले अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल फूंका गया था, तब इस विद्रोह की लपटें सिकरी खुर्द तक भी पहुंचीं. कई क्रांतिकारी और गांव वाले अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आवाज उठाने में शामिल हो गए. ब्रिटिश शासन को जैसे ही भनक लगी कि कुछ विद्रोही सिकरी माता मंदिर में एक गुप्त तहखाने में छुपे हुए हैं, उन्होंने मंदिर को घेर लिया. फिर जो हुआ वह इतिहास का काला अध्याय बन गया. अंग्रेजों ने तहखाने से सभी 132 क्रांतिकारियों और सहयोगी ग्रामीणों को जबरन बाहर निकाला और मंदिर परिसर में बने इसी वटवृक्ष पर एक-एक कर फांसी पर लटका दिया.
इस दर्दनाक घटना के बाद यह वटवृक्ष न सिर्फ गांव, बल्कि पूरे इलाके में बलिदान का प्रतीक बन गया. आज भी जब लोग माता के दर्शन करने आते हैं, तो वे इस वटवृक्ष के नीचे जाकर कलावा बांधते हैं और मन्नत मांगते हैं. मान्यता है कि यहां मांगी गई मुरादें पूरी होती हैं क्योंकि यहां आज भी उन 132 बलिदानियों की आत्माएं बसी हैं, जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था. स्थानीय बुजुर्ग बताते हैं कि इस मंदिर की काफी पुरानी मान्यता है. पहले इस स्थान पर शमशान हुआ करता था. बाबा जागरण गिरी ने माता के मंदिर की स्थापना की. बताया जाता है कि नगर कोट वाले देवी ही इस मंदिर में स्थापित है. इस मंदिर के अंदर आज भी तहखाना है. सरकार और पुरातत्व विभाग ने कि इस ऐतिहासिक स्थल के बराबर में ही शहद स्मारक बनाया है.Location :Ghaziabad,Uttar Pradeshhomeuttar-pradeshगाजियाबाद का वो गुमनाम ‘जलियांवाला’, जहां बूढ़े बरगद पर दी गई इतनी फांसी