लहसुन की खेती: कृषि विशेषज्ञों के अनुसार जानें कैसे करें लहसुन की खेती
लहसुन रबी मौसम की एक महत्त्वपूर्ण फसल है, जो मसाले के साथ-साथ औषधीय गुणों के कारण भी जानी जाती है. इसकी खेती भारत के लगभग सभी हिस्सों में की जाती है. लहसुन की फसल से अच्छा उत्पादन पाने के लिए सबसे पहले मिट्टी की तैयारी और कलियों की सही बुवाई पर ध्यान देना जरूरी होता है. आइए कृषि विशेषज्ञ से जानते हैं लहसुन की खेती कैसे करें.
लहसुन की खेती करने के लिए सबसे पहले मिट्टी का चुनाव और तैयारी बहुत जरूरी है. लहसुन की खेती के लिए दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है, जिसमें जल निकासी की अच्छी व्यवस्था हो. भारी मिट्टी या जलभराव वाली भूमि लहसुन के लिए हानिकारक होती है. बुवाई से पहले खेत की 2–3 बार गहरी जुताई कर मिट्टी को भुरभुरी बना लेना चाहिए. इसके बाद प्रति बीघा 8–10 टन सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाना जरूरी है, जिससे मिट्टी में जैविक पोषक तत्व बढ़ते हैं।
लहसुन की बुवाई कलियों (cloves) से की जाती है. बीज के रूप में उपयोग की जाने वाली कलियां पूरी तरह विकसित, स्वस्थ और रोगमुक्त होनी चाहिए. एक कली का वजन लगभग 4–6 ग्राम होना चाहिए. छोटी या सड़ी हुई कलियों का उपयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे अंकुरण कमजोर होता है. बुवाई से पहले कलियों को 1 लीटर पानी में 2 ग्राम थायरम या कार्बेन्डाजिम मिलाकर 30 मिनट तक उपचारित करना फायदेमंद है।
लहसुन की बुवाई अक्टूबर से नवंबर के बीच करना सर्वोत्तम रहता है. इसके लिए खेत को समतल कर 15 से 20 सेंटीमीटर की दूरी पर कतार बनाएं. हर कतार में 10 सेंटीमीटर के अंतराल पर कलियों को लगाएं. कलियों को मिट्टी में इस तरह दबाएं कि उनकी नोक ऊपर की ओर रहे और लगभग 3–4 सेंटीमीटर मिट्टी से ढक दें.
बुवाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें ताकि मिट्टी में नमी बनी रहे. इसके बाद हर 8–10 दिन के अंतराल पर पानी देते रहें, लेकिन जलभराव से बचना चाहिए. पहली निराई-गुड़ाई 20–25 दिन बाद करें, ताकि खरपतवार न बढ़ें और पौधों को पर्याप्त हवा मिले. फसल की अच्छी बढ़वार के लिए नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की उचित मात्रा देना जरूरी है. फफूंदजनित रोगों से बचाव के लिए ट्राइकोडर्मा या सल्फर का छिड़काव करें.
लहसुन की फसल 120-150 दिनों में तैयार हो जाती है. उचित सिंचाई, देखभाल और रोग नियंत्रण से किसान हरी-भरी और अच्छी क्वालिटी का लहसुन प्राप्त कर सकते हैं.