डायबिटीज के मरीजों के लिए एक अच्छी खबर है। भारत में डायबिटीज के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन प्रकृति में कुछ पौधे ऐसे हैं जो शुगर कंट्रोल कर सकते हैं। गुड़मार का पौधा शुगर मरीजों के लिए रामबाण है, जो मधुमेह को नियंत्रित करने, वजन घटाने और कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है।
चिकित्सक डॉ. कौशलेंद्र लोकल 18 बताते हैं कि गुड़मार के पौधे से मधुमेह को नियंत्रित करने, वजन घटाने और कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद मिलती है। यह पाचन में सुधार करता है, त्वचा की सूजन और खुजली को कम करता है और हृदय स्वास्थ्य को ठीक रखता है। इसे घर पर गमलों में लगा सकते हैं, जो इसे घर पर लगाने के लिए सुविधाजनक बनाता है।
गुड़मार का पौधा रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है और शरीर में इंसुलिन की गतिविधि को बढ़ाता है। यह शरीर की चर्बी और कार्बोहाइड्रेट को जमा होने से रोकता है। वजन घटाने में भी सहायक है। कोलेस्ट्रॉल को कम करने और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में मदद करता है। यह पाचन में भी सुधार करता है। त्वचा की सूजन और खुजली को शांत करता है। मुंहासे और एक्जिमा में फायदेमंद है।
गुड़मार का पत्ता चबाकर खाने से मुंह में मिठास महसूस नहीं होती, जिससे मीठा खाने की लत भी कम हो सकती है। यह वजन घटाने में भी मददगार है। मेटाबॉलिज्म को तेज करता है, जिससे शरीर से फैट कम होता है। गुड़मार कोलेस्ट्रॉल और हार्ट डिजीज से बचाव के लिए कारगर माना गया है। यह कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स को कंट्रोल करता है। इससे हृदय संबंधित बीमारियों का जोखिम कम हो जाता है।
गुड़मार का पाउडर भी इस्तेमाल कर सकते हैं। डॉक्टर कौशलेंद्र बताते हैं कि गुड़मार को गमलों में भी उगाया जा सकता है, जो इसे घर पर लगाने के लिए सुविधाजनक बनाता है। इस पौधे की खेती मुख्य रूप से इसकी पत्तियों के लिए की जाती है। जिसे साल में दो बार सितंबर-अक्टूबर और अप्रैल-मई तोड़ा जा सकता है। एक बार लगाने के बाद यह 25-30 वर्षों तक फसल दे सकता है।
गुड़मार की खेती के लिए अच्छी जल निकास वाली दोमट मिट्टी अच्छी होती है। गर्मियों में दो बार आड़ी-खड़ी जुताई कर और पाटा चलाकर खेत तैयार कर लेना चाहिए। पाटा चलाने से मिट्टी भुरभुरी और समतल हो जाती है। कृषि वैज्ञानिक डॉ. सीके त्रिपाठी के अनुसार, प्रति हेक्टेयर 10-12 टन गोबर की खाद या कंपोस्ट और 250 किलो NPK उर्वरक मिलाएं। जून से अगस्त के बीच खेत में पौधे लगाया जाता है, जब मानसून का मौसम शुरू हो रहा हो। इसकी खेती किसानों की किस्मत बदल सकती है।