वसीम अहमद/अलीगढ़. अलीगढ़ में गणेश उत्सव की तैयारी जोर शोर से चल रही है. एक पर्यावरण प्रेमी मूर्तिकार ने इको फ्रेंडली गणेश की प्रतिमाएं बनवाने का बीड़ा उठाया है. यह मूर्तियां मिट्टी से बनती है और इनमें दाल, चावल और गेहूं मिलाए जाते हैं. ये प्रतिमाएं देखने में बेहद खूबसूरत हैं. इको फ्रेंडली मूर्तियों की खासियत है कि ये पानी में आसानी से घुल जाती है, जिससे वातावरण को भी कोई नुकसान नहीं होता है.कई साल से मूर्तियां बना रहे छोटेलाल ने बताया कि हम बचपन से मूर्तियां बनाने का काम कर रहे हैं और पिछले 5 साल से हम इको फ्रेंडली गणेश की मूर्तियां बना रहे हैं. इसमें केमिकल के कलर नहीं लग रहे हैं, बल्कि हम दूध और कई तरह के अनाज मिलाते हैं. पीओपी की बनी मूर्तियों को गंगाजी में विसर्जन करते हैं उसमें कैमिकल के कलर होते हैं जिससे मछलियों को नुकसान होता है. हमारी इको फ्रेंडली गणेश की मूर्तियों से फायदा है कि इन मूर्तियों के विसर्जन करने से मिट्टी बह जाती है और इसमें पांच तरह का जो अनाज मिला है उससे मछलियों का पालन हो जाता है.गणेश चतुर्थी को लेकर जबरदस्त उत्साहमिट्टी की मूर्तियां बनाने में सहयोग कर रही छोटेलाल की बेटी लाडो ने बताया कि हम मिट्टी की ईको फ्रेंडली गणेश की मूर्तियां बना रहे हैं. इसमें हम पांच तरह के अनाज मिलाते हैं. इससे यह फायदा है कि जो गंगा जी में मूर्तियों का विसर्जन होता है. इससे मिट्टी बह जाएगी और इसमें जो अनाज मिलाया है उसे मछलियां खा लेंगी. इससे मछलियों और नदियों को कोई नुकसान नहीं होगा. पीओपी की जो मूर्तियां है उससे मछलियों को काफी नुकसान होता है. इको फ्रेंडली मूर्तियों का निर्माण केमिकल से तैयार होने वाली पीओपी मूर्तियों के मुकाबले अधिक सुरक्षित है. इन मूर्तियों का निर्माण रोज़ाना किया जाता है और एक दिन में लगभग 500 मूर्तियां तैयार की जाती हैं, जो बाजार में 50 से 300 रुपए तक बेची जाती हैं..FIRST PUBLISHED : September 18, 2023, 17:58 IST
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