विशाल झा/गाजियाबाद.आजकल प्राकृतिक जड़ी-बूटियां विलुप्त होती जा रही है. यूँ तो बाजारों में कई सारे महंगे ब्यूटी प्रोडक्ट्स उपलब्ध है लेकिन ग्राहकों के मन में विश्वसनीयता को लेकर हमेशा एक सवाल रहता है. लेकिन इन दिनों गाजियाबाद के कवि नगर मैदान में चल रहे फेस्टिवल महोत्सव के मेले में कर्नाटक स्थित मैसूर जिले के आदिवासी चर्चाओं का केंद्र बने हुए है.

दरअसल, यह आदिवासी अपने साथ अपनी सभ्यता से जुड़ा एक तेल लेकर आए हैं. कर्नाटक के मैसूर आदिवासी अक्सर प्राकृतिक जड़ी-बूटियों से बने सामान को ही इस्तेमाल करते है. यह तेल कुल 101 जड़ी-बूटीयों को मिलाकर हाथों से ही बनाया जाता है.

कैसे हाथों से बनाया जाता है जड़ी-बूटी का तेलपहले गांव के आदिवासी इन जड़ी-बूटियों को इकट्ठा करते है. इसके बाद इन जड़ी बूटियों की कटाई होती है और फिर इनको धोया जाता है. इसके बाद इन जड़ी बूटियां को सूखने के लिए छोड़ दिया जाता है. जब जड़ी-बूटियां सूख जाती है तो फिर उन्हें अलग-अलग प्रकार के तेल में मिलाया जाता है. जैसे नारियल, अरंरन्डी, सरसों आदि में इसको घोल दिया जाता है. इस पूरी प्रक्रिया में 6 से 7 घंटे का समय लग जाता है.

पुरुष और महिला दोनों के लिए ही बनाया जाता है ये तेलकर्नाटक मैसूर गांव के आदिवासी संदीप ने बताया कि गाजियाबाद में हम आदिवासी तेल लेकर आए है. जिसमें आदिवासी जड़ी-बूटियां शामिल होती है. जंगल से जड़ी-बूटी लाने के बाद इसको घर में ही बनाया जाता है फिर पैक करके इस तेल कों बेचा जाता है. लगभग इस औषधि तेल को 40 वर्षो से भी ज्यादा वक़्त हो गया है. इस तेल को हम ऑल ओवर इंडिया बेचते है. अगर बात पुरुषों की करे तो पुरुषों के लिए आधे लीटर तेल की क़ीमत 1500 रूपये है. जिसमें तीन महीने का कोर्स शामिल होता है. इसमें हम लोग 5 दिन के लिए भी लोगों को ट्राई करने को कहते है अगर तेल पसंद नहीं आता है तो लोग वापिस कर सकते है.

गांव की महिलाएं कंपनी को बेचती है बालवही वहां मौजूद महिला आदिवासी सुधा रानी ने बताया कीइस तेल कों महिला और पुरुष दोनों लगाते है. वर्षो से मैसूर गांव की महिलाए इस तेल को लगा रही है. गांव की ज्यादातर महिलाए अपने बाल बढ़ाकर उन्हें कंपनी में बेच देती है फिर तेल लगाने से तीन महीने में ही लंबे बाल आने लगते है. गांव में लोग इसको एक तेल की तरह नहीं बल्कि दवा के तौर पर इस्तेमाल करते है.

कर्नाटक बन रहा है आयुर्वैदिक उद्योग का केंद्रभारत के दक्षिण पश्चिम क्षेत्र का राज्य कर्नाटक भारत के आईटी केंद्र होने के साथ-साथ आयुर्वेदिक उद्योग में भी अपना नाम कमा चुका है. कर्नाटक में कई सारी आयुर्वेदिक दवा निर्माता कंपनियां बस चुकी है. गांव के आदिवासी अक्सर जंगल की जड़ी बूटियों से तेल बनाकर बेचते है. इनमें मुख्य रूप सेमेथी (Fenugreek ), भृंगराज (Bhringraj), आंवला (Amla ) लैवेंडर (levender), एलोवीरा (alovera ), ब्राह्मी (Hydrocotyle ), चिरायता(Andrographis Paniculata ), लाजवंती(Mimosa Pudica ) आदि शामिल होते है. तेल के अलावा भी कई प्रकार की औषधीय दवाई कर्नाटक राज्य में बनाई जाती है.अगर आप भी इस तेल का इस्तेमाल करना चाहते है तो 9591125335, 6363535929 पर आर्डर दे सकते है.

.Tags: Ghaziabad News, Local18, Uttar pradesh newsFIRST PUBLISHED : August 27, 2023, 17:32 IST



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