गाजियाबाद एक बार फिर देश का सबसे प्रदूषित शहर बन गया है. सीपीसीबी के हालिया आंकड़े बताते हैं कि इस शहर ने दुनिया में सबसे प्रदूषित शहर का तमगा हासिल कर चुके दिल्ली को भी खराब एक्यूआई के मामले में पीछे छोड़ दिया है. गाजियाबाद की हवा इस कदर जहरीली हो चुकी है कि यहां रहने वाले स्वस्थ लोग भी इस हवा में सांस लेने के बाद बीमार हो रहे हैं, जिसके चलते अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ रही है.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़े बताते हैं कि 20 नवंबर को एक बार फिर गाजियाबाद का एक्यूआई बेहद खराब श्रेणी में पहुंचकर 430 हो गया. जो कि दिल्ली और नोएडा से कहीं ज्यादा रहा. इससे पहले गाजियाबाद 17 और 19 नवंबर को भी प्रदूषित शहरों की लिस्ट में टॉप पर पहुंच गया था. 17 नवंबर को प्राइवेट एक्यूआई मॉनीटर एजेंसियों ने यहां का एयर क्वालिटी इंडेक्स 800 से भी ऊपर दर्ज किया था. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि यह शहर सबसे प्रदूषित शहर क्यों बन गया.
गाजियाबाद में सड़कों पर धूल और वाहनों से प्रदूषण स्तर लगातार बढ़ रहा है. इस शहर में बड़ी संख्या में सड़कें टूटी हुई हैं, जिन पर लगातार कंस्ट्रक्शन चलता रहता है. पूरे दिन बड़े और छोटे वाहन सड़कों पर दौड़ते हैं और धूल उड़ाते हैं. बारिश न होने और हवा की गति सर्दियों में सुस्त पड़ने के चलते यह धूल हवा में घूमती रहती है, जो प्रदूषण स्तर को बढ़ाती है. इसके अलावा यहां बड़ी संख्या में फैक्ट्रीज हैं, जिनसे खतरनाक गैसों का उत्सर्जन होता रहता है. ग्रैप की पाबंदिया लागू जरूर होती हैं लेकिन कितनी सफलता से ये काम करती हैं, इसका कोई व्हाइट पेपर कभी नहीं आया है.
गाजियाबाद में छोट से लेकर बड़े वाहनों की संख्या बहुत ज्यादा है. इलेक्ट्रिक के मुकाबले पेट्रोल और डीजल की गाड़ियां काफी हैं, साथ ही प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों की मॉनिटरिंग और उन पर सख्ती भी कम है, लिहाजा ये हवा की गुणवत्ता में जहर घोलते रहते हैं. इस शहर में खुले में कूड़ा जलाने से धुआं होने के भी मामले देखे गए हैं, जिनसे हवा में जहरीली गैसें बढ़ती हैं.
गाजियाबाद दिल्ली और नोएडा के नजदीक है, जिसका असर भी इसकी जलवायु पर पड़ता है. इन शहरों में जब प्रदूषण का स्तर बढ़ता है तो वह आगे बढ़कर गाजियाबाद को भी गिरफ्त में लेता है. इसके अलावा इस शहर में प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए स्थाई तो दूर अस्थाई उपाय भी नहीं किए जाते हैं, जैसे सड़कों पर पानी का छिड़काव, पेड़-पौधों की संख्या बढ़ाना, ग्रैप को सख्ती से लागू करना आदि.
वैज्ञानिक के जे रमेश कहते हैं कि जब तक गाजियाबाद के स्थानीय कारणों को जानकर वहां के लिए अलग नियम नहीं बनाए जाएंगे, सभी अथॉरिटीज मिलकर प्रदूषण से निपटने के लिए सामूहिक रूप से काम नहीं करेंगी, गाजियाबाद क्या किसी भी शहर की हवा को साफ कर पाना मुश्किल है. इस शहर में फैक्ट्री और कारखानों से उत्सर्जन पर तत्काल रोक लगनी चाहिए. यहां कूड़ा जलाने को भी प्रतिबंधित करने की जरूरत है, साथ ही सड़कों की मरम्मत एक बड़ा मुद्दा है.

