Last Updated:August 22, 2025, 23:11 ISTगाजीपुर के सनबीम स्कूल में कक्षा-9 के छात्र द्वारा 10वीं कक्षा के छात्र आदित्य वर्मा की चाकू मारकर हत्या ने पूरे समाज को झकझोर दिया है. यह घटना सिर्फ एक आपराधिक मामला नहीं है. बल्कि आधुनिक शिक्षा प्रणाली, पारिव…और पढ़ेंगाजीपुर के सनबीम स्कूल में कक्षा-9 के छात्र द्वारा 10वीं कक्षा के छात्र आदित्य वर्मा की चाकू मारकर हत्या ने पूरे समाज को झकझोर दिया है. यह घटना सिर्फ एक आपराधिक मामला नहीं है. बल्कि आधुनिक शिक्षा प्रणाली, पारिवारिक माहौल और बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरे सवाल खड़े करती है.
किशोरावस्था और हिंसक प्रवृत्तियांमनोवैज्ञानिक मानते हैं कि किशोरावस्था में मस्तिष्क का विकास पूरी तरह नहीं होता, जिससे impulsive व्यवहार बढ़ता है. प्रोफेसर कंचन सिंह (सहजानंद कॉलेज, गाजीपुर) कहती हैं—कभी-कभी यह विश्वास करना मुश्किल होता है कि इतनी कम उम्र का बच्चा इतनी बड़ी हिंसा कर सकता है. परिवार ही पहली पाठशाला होता है. अगर बच्चे हिंसक वातावरण या गलत संगत में पलते हैं, तो उनके भीतर ऐसी प्रवृत्तियां घर कर सकती हैं. उनके अनुसार, टीनएज में ऊर्जा और हार्मोनल बदलाव बहुत तेज़ होते हैं. यदि इन्हें सही दिशा और गाइडेंस न मिले, तो बच्चे भटक सकते हैं.आज संयुक्त परिवार टूट गए हैं. दादा-दादी-नाना-नानी के नैतिक मूल्य सिखाने वाले रोल कम हो गए हैं. अब बच्चों का साथी मोबाइल और टैबलेट बन गए हैं. ऐसे में माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों को समझने और गाइड करने के लिए समय निकालें.
मानसिक स्वास्थ्य और स्कूल का दबाव
किशोरों पर बढ़ती पढ़ाई की प्रतिस्पर्धा, parental expectations और peer pressure भी हिंसक प्रवृत्तियों की वजह बनते हैं. मानसिक विकार जैसे ADHD या मूड डिसऑर्डर बच्चों को और आक्रामक बना सकते हैं. छोटी-सी असामान्य हरकत भी नजरअंदाज़ नहीं की जानी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट का आदेश और समाधानहाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को जीवन के अधिकार के अंतर्गत मान्यता दी है. कोर्ट ने आदेश दिया है कि जिन स्कूलों या कोचिंग सेंटरों में 100 से अधिक छात्र हैं.वहां कम से कम एक प्रशिक्षित काउंसलर, मनोवैज्ञानिक या सोशल वर्कर नियुक्त होना चाहिए. छोटे संस्थानों को भी बाहरी विशेषज्ञों से जोड़ने का निर्देश दिया गया है. इसके अलावा, शिक्षकों के लिए मानसिक स्वास्थ्य प्रशिक्षण और जिलास्तरीय निगरानी समितियाँ बनाने के आदेश दिए गए हैं.
कोचिंग सेंटरों में 100 से अधिक छात्रप्रो. कंचन इस फैसले का स्वागत करती हैं. उनका कहना है कि हर विद्यालय में काउंसलिंग अनिवार्य होनी चाहिए. बच्चे भविष्य हैं. इसलिए माता-पिता और शिक्षक दोनों को उनकी भावनात्मक ज़रूरतों को समझना चाहिए. सिर्फ पढ़ाई या अंक ही सब कुछ नहीं है. बच्चों का मानसिक संतुलन भी उतना ही महत्वपूर्ण है. सहजानंद कॉलेज में हर साल 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर एक जागरूकता अभियान चलाया जाता है. युवाओं को मानसिक संतुलन और सकारात्मक जीवन की दिशा दी जा सके.न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।Location :Ghazipur,Uttar PradeshFirst Published :August 22, 2025, 23:11 ISThomeuttar-pradeshगाजीपुर स्कूल मर्डर केस,आदित्य की हत्या ने किया किशोरों के मानसिक दबाव का खुला