Uttar Pradesh

गैस चैंबर बने दिल्ली-एनसीआर में क्यों की जा रही बारिश की दुआ, हवाएं क्या कहती हैं



हाइलाइट्सबारिश हवा में मौजूद प्रदूषण के कणों और धुएं के कणों के साथ मिलकर एक कोलायड बनाती हैतब हवा में मौजूद सारा प्रदूषण पानी के साथ मिलकर नीचे जमीन पर आ जाता है और हवा साफ हो जाती हैदिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण गंभीर स्थिति में है. पिछले करीब एक हफ्ते से हवा में धुआं और प्रदूषण मिलकर ऐसी धुंध की जहरीली स्थिति बना रहे हैं, जिसमें खुले में बाहर निकलने पर लोगों की आंखें जल रही हैं. गला चोक होता महसूस हो रहा है. सांस लेने में समस्या की स्थितियां बन रही हैं. अनुमान लगाया जा रहा है कि अभी दिल्ली और आसपास दिवाली के बाद भी वातावरण में स्मॉग के ऐसे हालात बने रहेंगे. ये ऐसी स्थिति है जबकि ज्यादातर लोग ये चाह रहे हैं काश ऐसे में यहां बारिश हो जाए. मौसम विभाग का बारिश को लेकर क्या अनुमान है ये तो हम आगे जानेंगे लेकिन ये भी जानते हैं कि स्मॉग जैसी खराब हवा क्वालिटी की स्थिति में बारिश क्या भूमिका निभाती है.

मौसम विभाग के अगले 15 दिनों के अनुमान कहते हैं कि हवा की गति बहुत धीमी रहेगी, करीब 08 किलोमीटर प्रति घंटा के आसपास, कभी बादल छाए रहेंगे तो कभी हल्की फुल्की धूप निकलेगी. तापमान 27 डिग्री से लेकर 16 डिग्री के आसपास रहेगा. यानि हल्की ठंड वाली स्थिति दस्तक दे चुकी है. लेकिन मौसम विभाग की किसी भी अनुमान में बारिश के कोई आसार नहीं दिख रहे.

स्काईमेट मौसम वेबसाइट के मुताबिक दक्षिणी राज्यों में लगातार बारिश हो रही है लेकिन फिलहाल उत्तर में इसके आसार नहीं हैं. हां तीन दिन के बाद उत्तर-पश्चिम से आने वाली हवाओं की गति बढ़ेगी जिससे वायु प्रदूषण से कुछ राहत मिलेगी.

हवा की इतनी खराब क्वालिटी की स्थिति में सब आस लगा रहे हैं कि अगर बारिश हो जाए तो दिल्‍ली-एनसीआर का एक्‍यूआई बेहतर हो सकता है. ऐसे में ये सवाल उठना लाजिमी है कि बारिश वायु प्रदूषण की स्थिति में क्या रोल निभाती है.

बारिश हवा में मौजूद धूल कणों के साथ जैल बनाती है.

क्या करती है बारिशआमतौर पर जब बारिश होती है तो हवा में मौजूद धूल कण उसकी ओर आकर्षित होकर जैल बना लेते हैं. हवा में मौजूद इन कणों को एरोसोल या एयर मॉल्‍यूक्‍यूल्‍स कहा जाता है. इन कणों में कालिख, सल्फेट्स और कई तरह के कार्बनिक कण होते हैं. ये कण वायु प्रदूषण के लिए जिम्‍मेदार होते हैं. बारिश की बूंदें और एरोसोल आपस में आकर्षित होकर जुड़कर धरती पर गिरते है. फिर पानी के साथ बह जाते हैं या धऱती इन्‍हें सोख लेती है.

शोध में पाया गया कि बारिश की बूंदें जितनी छोटी होंगी, हवा में मौजूद प्रदूषण के कणों को उतना ज्‍यादा आकर्षित करेंगी.

जैसे ही बारिश की बूंद वायुमंडल में आती है तो जमीन से टकराने के पहले सैकड़ों छोटे एयर मॉल्‍यूक्‍यूल्‍स को अपनी सतह पर आकर्षित कर सकती है. शोध में पाया गया है कि बारिश की बूंदें जितनी छोटी होंगी, हवा में मौजूद प्रदूषण के कणों को उतना ज्‍यादा आकर्षित करेंगी. कई बार ये प्रक्रिया बादल की ऊंचाई और बारिश की तेजी पर भी निर्भर करती है.

बारिश की बूंद हवा के कणों के साथ जैल बनाती हैशोध में कहती है कि हर बारिश की बूंद आवेशित होती हैः लिहाजा, बूंद वायुमंडल में मौजूद तमाम आवेशित कणों के साथ मिलकर जैल बनाती हैं. साफ है कि बारिश एयर पॉल्यूशन को नीचे ले आती है. हवा में तैरने वाले खतरनाक कण ही हवा में जहर घोलते हैं. यही कण सर्दी शुरू होने पर स्मॉग बनाते हैं. हवा में घुलकर ये स्‍मॉग दृश्यता कम करने के साथ ही आसमान में धुआं सा बना देता है. ये स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक होता है.

साफ हवा में कौन सी गैसें होती हैंबारिश होने तक ये कण हल्के होकर हवा में उड़ते रहते हैं. बारिश के संपर्क में आकर जैल बनाते हैं और धरती पर गिर जाते हैं. इसीलिए बारिश के बाद आमतौर पर हवा साफ हो जाती है. साफ हवा में नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन, हीलियम, ओजोन, निऑन, जेनान, जलवाष्प के कण शामिल होते हैं. शुद्ध हवा में किसी भी तरह के प्रदूषक नहीं होते. इसमें दुर्गंध और धूल के कण भी नहीं होते.

हवा में कितनी होती है ऑक्सीजनहवा में ऑक्सीजन की मात्रा 100 या 50 फीसदी नहीं होती, बल्कि करीब 21 फीसदी ही होती है. इसके बाद वायुमंडल में दूसरी सबसे ज्‍यादा पाई जाने वाली गैस नाइट्रोजन होती है. वायुमंडल में करीब 78 फीसदी नाइट्रोजन होती है. बाकी गैसें एक फीसदी से कम मात्रा में होती हैं. ऑक्सीजन पृथ्वी की ऊपरी परत में सबसे ज्यादा होती है. ये पृथ्वी की ऊपरी परत का करीब 46.6 फीसदी हिस्सा होती है.
.Tags: Air pollution delhi, Air Pollution Red Zone, Air Quality, Air Quality Index AQI, Delhi air pollutionFIRST PUBLISHED : November 8, 2023, 10:50 IST



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