AI in Healthcare: कुछ साल पहले, डॉक्टरों को बीमारियों की डायग्नोसिस में मदद करने या मरीजों को उनकी दवा लेने की याद दिलाने वाली मशीन का ख्याल साइंस फिक्शन जैसा लगता था. लेकिन आज, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) धीरे-धीरे और लगातार हेल्थकेयर की दुनिया में एक गेम चेंजर बन रहा है. तेजी से बीमारियों का पता लगाने से लेकर पर्सनलाइज्ड ट्रीटमेंट तक, एआई पेशेंट की देखभाल के तरीके के लिए नए रास्ते खोल रहा है, और अभी तो बस शुरुआत है.
हेल्थकेयर में एआई का क्या मतलब है?डॉ. मंजू सिंह (Dr. Manju Singh) ने बताया कि सीधे शब्दों में कहें, एआई का मतलब स्मार्ट कंप्यूटर प्रोग्राम्स के यूज से है जो बड़ी मात्रा में मेडिकल डेटा को एनालाइज कर सकते हैं, उससे सीख सकते हैं और डॉक्टर्स को बेहतर फैसले लेने में मदद कर सकते हैं. चाहे वह एक्स-रे पढ़ना हो, किसी बीमारी के पूरी तरह से डेवलप होने से पहले उसकी भविष्यवाणी करना हो, या हॉस्पिटल के सिस्टम को मैनेज करना हो, एआई पहले से ही अपनी छाप छोड़ रहा है.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के फायदे
1. बीमारी का जल्द पता लगानाएआई के सबसे बड़े फायदों में से एक अर्ली डायग्नोसिस. एआई-पावर्ड टूल्स सीटी स्कैन या एमआरआई जैसी मेडिकल इमेजेज को स्कैन कर सकते हैं और कैंसर, ब्रेन ट्यूमर या फेफड़ों के इंफेक्शन जैसी परेशानियों का तुरंत पता लगा सकते हैं, जिन्हें कभी-कभी इंसानी आंखें उन्हें देख भी नहीं पाती है. ये डॉक्टर्स का कीमती बचाता है और खास तौर से जानलेवा बीमारियों में ठीक होने की संभावनाओं को बेहतर बना सकता है.
2. बीमारियों के इलाज में आसानीएआई डायबिटीज और हार्ट डिजीज जैसी पुरानी बीमारियों के मैनेजमेंट में भी मददगार साबित हो रहा है. स्मार्टवॉच जैसे पहनने वाले डिवाइसेस रियल टाइम में आपकी धड़कन, ब्लड शुगर लेवल और यहां तक कि आपके सोने के पैटर्न की निगरानी कर सकते हैं. ये टूल्स कुछ गलत होने पर मरीजों और डॉक्टरों को अलर्ट करते हैं, जिससे हालत बिगड़ने से पहले क्विक एक्शन लिया जा सकता है.
3. गांव के लोगों को फायदाग्रामीण इलाकों या उन जगहों पर जहां स्पेशलिस्ट डॉक्टर उपलब्ध नहीं हैं, एआई-पावर्ड ऐप्स और टूल्स इस गैप को कम करने में मदद कर सकते हैं. मिसाल के तौर पर, एक स्मार्टफोन ऐप खांसी को सुनकर बता सकता है कि ये निमोनिया हो सकता है, या डायबिटिक रेटिनोपैथी की जांच के लिए आंखों की इमेज को एनालाइज कर सकता है. ये डिवाइसेज हेल्थ वर्कर्स को सही कदम उठाने में मदद करते हैं, वो भी तब एक्सपर्ट एडवाइस देने के लिए डॉक्टर मौजूद न हो.
4. पर्सनलाइज्ड केयरएआई किसी इंसान का जेनेटिक इंफॉर्मेशन और मेडिकल हिस्ट्री को स्टडी करके ये बता सकता है कि उनके लिए कौन से इलाज सबसे अच्छे हो सकते हैं. इस तरह की प्रिसाइज केयर में ट्रायल-और-एरर को कम कर सकती है और ठीक होने की दरों में सुधार कर सकती है.
5. हॉस्पिटल मैनेजमेंटअस्पताल और क्लीनिक को सही तरीके से चलाने के लिए एआई का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसमें नई नौकरी देने से लेकर दवाओं के स्टॉक की भविष्यवाणी तक शामिल है. इससे समय बचता है, लागत कम होती है, और स्वास्थ्य कर्मियों को कागजी कार्रवाई के बजाय मरीजों देखभाल पर ज्यादा फोकस करने का मौका मिलता है.
एआई कै चैलेंजेजभले ही एआई में बहुत संभावनाएं हैं, लेकिन इसमें चैंलेंज कम नहीं है. मेडिल डेटा की प्राइवेसी, मरीजों जानकारी का एथिकल यूज, और मजबूत रेगुलेशन की जरूरत अहम चिंताएं हैं. ये याद रखना भी जरूरी है कि एआई एक टूल है, ये डॉक्टर्स को सपोर्ट कर सकता है लेकिन उनके तजुर्बे और फैसले को रिप्लेस नहीं कर सकता.
फ्यूचर क्या है?भविष्य को देखते हुए ये कहा जा सकता है कि एआई हेल्थ में और भी बड़ी भूमिका निभाएगा. जैसे-जैसे तकनीक ज्यादा सस्ती और सुलभ होगी, छोटे अस्पताल और क्लीनिक भी एआई-पावर्ड टूल्स का इस्तेमाल किया जा सकता है. इनोवेशन और जिम्मेदारी के बीच सही बैलेंस के साथ, एआई में हेल्थकेयर को ज्यादा सटीक और किफायती बनाने की क्षमता है.
डॉक्टर को रिप्लेस करना मकसद नहींआखिर में हम ये कह सकते हैं कि एआई का मकसद हेल्थकेयर में ह्यूमन टच को रिप्लेस करना नहीं है, बल्कि इसे मजबूत करना है. इसका टारगेट डॉक्टर्स को बेहतर फैसला लेने में मदद करना और मरीजों को सही वक्त पर सही केयर हासिल करने में मदद करना है. जैसे-जैसे हम भविष्य की तरफ बढ़ते हैं, एआई ही वो साथी हो सकता है जिसकी हमारे हेल्थकेयर सिस्टम को जरूरत है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.