सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (सीजीआइ) राजेंद्र मेनन ने अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण निर्णय दिए हैं। उनके न्यायिक जीवन की शुरुआत पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में हुई थी, जहां उन्होंने कई प्रमुख निर्णय दिए थे। 5 अक्टूबर 2018 को उन्हें हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था।
उनके सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में कार्यकाल के दौरान, उन्होंने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण, स्वतंत्र अभिव्यक्ति और नागरिकता अधिकारों पर निर्णय दिए हैं। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 124 के तहत न्यायाधीशों के नियुक्ति के प्रक्रिया को लेकर भी महत्वपूर्ण निर्णय दिए हैं।
सीजीआइ मेनन ने एक बेंच के हिस्से के रूप में कालजयी सedition कानून को रोक दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि कोई भी नया एफआईआर उस कानून के तहत न दर्ज किया जाए जब तक सरकार उसे समीक्षा नहीं करती। उन्होंने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि वे बिहार में 65 लाख वोटरों के नामों के बारे में विवरण जारी करें जिन्हें मतदाता सूची से हटाया गया था, जब उन्होंने चुनाव आयोग के निर्णय को चुनौती देने वाले एक समूह के मामलों की सुनवाई की।
उन्होंने एक आदेश में कहा कि न्यायपालिका को सामुदायिक न्याय और लिंग न्याय के मुद्दों पर विशेष ध्यान देना चाहिए। उन्होंने एक बेंच के हिस्से के रूप में एक महिला सरपंच को उनके पद से हटाने के मामले में निर्णय दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि महिलाओं के प्रति लिंग भेदभाव को रोकने के लिए कदम उठाए जाएं।
सीजीआइ मेनन ने बार संघों में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटें आरक्षित करने का निर्णय दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि महिलाओं को न्यायपालिका में प्रतिनिधित्व देने के लिए यह आवश्यक है।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पंजाब दौरे के दौरान सुरक्षा उल्लंघन की जांच के लिए एक पांच-सदस्यीय समिति का गठन किया, जिसमें उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में एक न्यायिक रूप से प्रशिक्षित मन की आवश्यकता होती है। उन्होंने रक्षा बलों के लिए ‘वन रैंक वन पेंशन’ योजना को संविधान से मिलाना दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि यह योजना संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत संवैधानिक रूप से वैध है।
उन्होंने महिला अधिकारियों के स्थायी आयोग में समानता के लिए पैरिटी की मांग करने वाले मामलों की सुनवाई जारी रखी है। उन्होंने उत्तराखंड के चार धाम परियोजना को संवैधानिक रूप से वैध बताया, जिसमें उन्होंने कहा कि यह परियोजना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है और पर्यावरणीय चिंताओं को भी ध्यान में रखा जाए।
उन्होंने पॉडकास्टर रणवीर अल्लाहबादिया को उनके ‘दुर्गुणात्मक’ टिप्पणियों के लिए सावधानी से निर्देशित किया, जिसमें उन्होंने कहा कि स्वतंत्र अभिव्यक्ति का मतलब सामाजिक मूल्यों का उल्लंघन करना नहीं है। उन्होंने स्टैंड-अप कॉमेडियन समय रैना को उनके शो में विकलांग लोगों का मजाक उड़ाने के लिए सावधानी से निर्देशित किया, जिसमें उन्होंने कहा कि ऑनलाइन सामग्री को नियंत्रित करने के लिए केंद्र को निर्देशित करना आवश्यक है।
उन्होंने मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह को उनके टिप्पणियों के लिए सावधानी से निर्देशित किया, जिसमें उन्होंने कहा कि हर शब्द के लिए एक न्यायपालिका के रूप में जिम्मेदारी की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि भ्रष्टाचार न्यायपालिका और सरकार के बीच विश्वास को कमजोर करता है।
उन्होंने 2023 में एक निर्णय में कहा कि भ्रष्टाचार एक गंभीर सामाजिक खतरा है और उन्होंने सीबीआई को 28 मामलों की जांच करने का निर्देश दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि बैंकों और विकासकों के बीच एक ‘अनैतिक संबंध’ है जो घर खरीदारों को धोखा दे रहा है।
उन्होंने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एक निर्णय में बेल दिलाने का निर्देश दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि सीबीआई को यह साबित करना होगा कि वे एक ‘कैदी कौवा’ नहीं हैं। उन्होंने घरेलू कर्मचारियों के लिए एक कानूनी ढांचे की कमी को उजागर किया, जिसमें उन्होंने कहा कि केंद्र को एक विशेषज्ञ समिति का गठन करना चाहिए जो घरेलू कर्मचारियों के लिए सुरक्षा उपायों का सुझाव दे।
उन्होंने 1967 के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के निर्णय को पलट दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि यह निर्णय किसी भी व्यक्ति के लिंग के आधार पर भेदभाव को बढ़ावा देता है। उन्होंने 2021 में एक निर्णय में कहा कि किसी भी व्यक्ति के सुरक्षा उल्लंघन के मामले में न्यायपालिका को एक न्यायिक रूप से प्रशिक्षित मन की आवश्यकता होती है।

