आज की डिजिटल दुनिया में स्क्रीन हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन गई है- काम हो, बातचीत हो या फिर एंटरटेनमेंट, सब कुछ मोबाइल, लैपटॉप और टैबलेट पर निर्भर हो गया है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह मॉडर्न लाइफस्टाइल आपकी फर्टिलिटी यानी प्रजनन क्षमता यानी फर्टिलिटी को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचा रही है.
इनफर्टिलिटी एंड आईवीएफ एक्सपर्ट काबेरी बनर्जी के मुताबिक, स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट नींद के लिए जरूरी हार्मोन मेलाटोनिन को दबा देती है. यह हार्मोन शरीर की बायोलॉजिकल क्लॉक यानी जैविक घड़ी को कंट्रोल करता है. इसके चलते सोने में परेशानी, नींद की क्वालिटी में गिरावट और थकान महसूस होना आम हो गया है. लेकिन यही नींद की गड़बड़ी आगे चलकर पुरुषों और महिलाओं दोनों की फर्टिलिटी पर असर डालती है.
पुरुषों में लंबे समय तक स्क्रीन के संपर्क में रहने से स्पर्म काउंट और स्पर्म की क्वालिटी में कमी देखी गई है. कुछ शोध यह भी दर्शाते हैं कि मोबाइल और लैपटॉप से निकलने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन (EMR) स्पर्म की डीएनए क्वालिटी को भी प्रभावित कर सकती है. इससे स्पर्म की गतिशीलता और आकार दोनों प्रभावित होते हैं.
महिलाओं में नींद की कमी और ब्लू लाइट के ज्यादा संपर्क से हार्मोनल असंतुलन, अनियमित पीरियड्स और ओवुलेशन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं. यही नहीं, गर्भावस्था के दौरान EMR का अधिक एक्सपोजर भ्रूण के विकास को भी प्रभावित कर सकता है.
क्या करें बचाव के लिए?विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि सोने से कम से कम 30 मिनट पहले स्क्रीन टाइम बंद कर देना चाहिए, ताकि मेलाटोनिन का उत्पादन सुचारु रूप से हो सके. इसके अलावा, एक नियत समय पर सोने और जागने की आदत एनडोक्राइन हेल्थ को बेहतर करती है. EMR से बचने के लिए मोबाइल को तकिए के नीचे रखने से बचें और रात में एयरप्लेन मोड या डिवाइस को दूर रखें.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.