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Frequent upset stomach can be a sign of IBS know its symptoms and prevention measures |बार-बार पेट खराब होना हो सकता है IBS का संकेत, जानिए इसके लक्षण और बचाव के उपाय



Irritable Bowel Syndrome: हमारी सेहत की जड़ हमारे पेट में होती है. जब पाचन सही होता है, तो शरीर एनर्जी से भरपूर रहता है, मन शांत रहता है और रोगों से लड़ने की शक्ति बनी रहती है. लेकिन जब पेट बार-बार खराब रहने लगे, कभी लूज मोशन तो कभी गैस की समस्या हो, तो यह सामान्य नहीं बल्कि किसी गहरी परेशानी का संकेत हो सकता है. ऐसी ही एक समस्या है ‘इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम’ (IBS). यह एक लंबी चलने वाली पाचन संबंधी स्थिति है, जो व्यक्ति की डेली लाइफ, मानसिक स्थिति और आंतरिक संतुलन को गहराई से प्रभावित करती है.
आईबीएस में सबसे आम लक्षणों में पेट में मरोड़ या तेज दर्द, गैस, कभी लूज मोशन, कभी कब्ज और पेट फूलना शामिल हैं. कुछ लोगों को ऐसा लगता है उनका पेट पूरी तरह से साफ नहीं हो पाता है, और कभी-कभी मल में सफेद चिपचिपा पदार्थ भी दिखाई देता है. खासतौर पर महिलाओं में मासिक धर्म के समय ये लक्षण अधिक बढ़ सकते हैं. हालांकि यह स्थिति कष्टदायक होती है, लेकिन यह आंतों को कोई स्थायी नुकसान नहीं पहुंचाती.
आईबीएस की पहचान मरीज के लक्षणों के आधार पर होती है, खासकर जब ये लक्षण लगातार बने रहें और बार-बार आते रहते हों. यह एक क्रॉनिक स्थिति होती है, जिसमें लक्षण कभी दिखते हैं, कभी कम हो जाते हैं.
अमेरिकी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) के अनुसार, अभी तक आईबीएस का एक निश्चित कारण सामने नहीं आया है, लेकिन यह माना जाता है कि यह समस्या ‘ब्रेन-गट इंटरैक्शन’ की गड़बड़ी से शुरू होती है. इसमें पाचन तंत्र कभी तेज हो जाता है और कभी बहुत धीमा, जिससे गैस, मरोड़ और मल त्याग जैसी परेशानी होने लगती है.
बता दें कि ‘ब्रेन-गट इंटरैक्शन’ पेट और दिमाग के बीच के कनेक्शन को कहते हैं. आईबीएस के कारणों में मानसिक तनाव, बचपन में हुआ कोई शारीरिक या मानसिक आघात, चिंता, डिप्रेशन, आंतों का बैक्टीरियल संक्रमण और कुछ चीजों से एलर्जी शामिल हो सकते हैं. कुछ लोगों में जेनेटिक कारणों से भी आईबीएस होने की संभावना होती है. वहीं आयुर्वेद इस समस्या को केवल पेट से जुड़ी नहीं, बल्कि पूरे शरीर और मन के संतुलन से जुड़ी हुई मानता है.
आयुर्वेद के अनुसार, हमारे आंत और मस्तिष्क के बीच गहरा संबंध होता है. जब मन अशांत होता है, तो यह पाचन अग्नि को प्रभावित करता है. ऐसे समय में हमारा पाचन ठीक से काम नहीं करता. शरीर में रज और तम बढ़ जाते हैं. ये हमारे शरीर को भारी और सुस्त बना देते हैं. इसका नतीजा होता है कि हमारे पेट में खाना ठीक से नहीं पचता. वहीं गलत खानपान से पाचन और भी खराब हो जाता है, जिससे कई बीमारियां हो सकती हैं.
हमारे पेट में मौजूद बैक्टीरिया का असंतुलन होना भी आईबीएस के पीछे की वजह हो सकता है. इसे वैज्ञानिक भाषा में ‘गट माइक्रोबायोम’ और आयुर्वेद में ‘कृमि’ या ‘असंतुलित दोष’ कहा जाता है. बैक्टीरिया के असंतुलन होने से गैस, पेट दर्द, पेट का ठीक से साफ न होना या बार-बार पेट खराब होना जैसी कई परेशानियां होने लगती हैं. इस दौरान आईबीएस के लक्षण देखने को मिलते हैं.
आयुर्वेद में आईबीएस का समाधान शरीर, मन और जीवनशैली तीनों स्तरों पर दिया जाता है. इसमें चित्त की शांति, पाचन अग्नि का संतुलन, नियमित दिनचर्या और सात्विक आहार का पालन शामिल है.
IBS से राहत पाने के लिए सबसे जरूरी है अपने खानपान और जीवनशैली में संतुलन बनाना. फाइबर युक्त आहार जैसे फल, सब्ज़ियां और ओट्स खाना पाचन में मदद करता है, लेकिन इसे धीरे-धीरे डाइट में शामिल करना चाहिए. तला-भुना, मसालेदार खाना, कैफीन, अल्कोहल और कोल्ड ड्रिंक्स से दूरी बनाना जरूरी है.
(आईएएनएस)
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.



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