युवाओं में फैटी लिवर का ट्रेंड बहुत तेजी से बढ़ रहा है. खानपान की आदत इसका सबसे बड़ा जोखिम कारक है. हाल ही में मुंबई में मल्टीनेशनल कंपनी में अपनी पहली जॉब कर रही 24 साल की लड़की में फैटी लिवर का निदान किया गया है. हैरान करने वाली बात ये है कि लड़की को न तो मोटापा था, ना ही कोलेस्ट्रॉल या बीपी की परेशानी. इतना ही नहीं लड़की ने बताया कि वो विकेंड को छोड़ हर दिन हेल्दी खाना, समय पर सोना और एक्सरसाइज भी करती थी.
लेकिन वीकेंड पर एक दिन पार्टी के कारण सब कुछ बदल गया. ऑफिस ज्वाइन करने के कुछ ही महीनों बाद लकड़ी को ऊपरी पेट में हल्का दर्द महसूस होने लगा, जो रविवार और सोमवार को बढ़ जाया करता था. खाने के बाद सूजन और एसिडिटी की भी शिकायत रहने लगी थी, जिसकी जांच में पता चला कि उसे ग्रेड 2 फैटी लिवर है. यह लड़की के लिए समझ से थोड़ा बाहर था क्योंकि उसे एल्कोहोलिक फैटी लिवर निकला था, जबकि वो रोज या बहुत ज्यादा शराब नहीं पी रही थी.
क्या होता है ग्रेड 2 फैटी लिवर
फैटी लिवर को इसके लक्षण, गंभीरता और प्रोग्रेस के आधार पर 3 ग्रेड में बांटा जाता है. जहां ग्रेड 1 लिवर पर फैट के जमने का शुरुआती स्टेज है. इसे लाइफस्टाइल में बदवाल मात्र से रिवर्स किया जा सकता है. वहीं, ग्रेड 2 को फैटी लिवर का मॉडरेट या ट्रांसजिशनल स्टेज कहा जाता है. इसमें फैट की मात्रा लिवर के वजन से 10-20 प्रतिशत तक बढ़ जाती है, इसे कंट्रोल करने के लिए डॉक्टर से परामर्श और जीवनशैली की आदतों में सुधार दोनों की जरूरत होती है. इस स्टेज में मरीज को थकान, पेट दर्द या दर्द महसूस होता है. यदि इस स्टेज पर फैटी लिवर को कंट्रोल न किया जाए तो ये ग्रेड 3 मतलब लिवर के सड़ने की शुरुआत पर पहुंच सकती है, जिसे सिरोसिस भी कहा जाता है.
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शराब छोड़ने से मिला फायदा
सर एच. एन. रिलायंस फाउंडेशन अस्पताल, मुंबई के हेपेटोलॉजी निदेशक डॉ. आकाश शुक्ला ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि जैसे ही उसने शराब छोड़ी, उसकी एसिडिटी और सूजन खत्म हो गई और 4-6 हफ्तों में फैटी लिवर भी रिवर्स हो गया. डॉ. शुक्ला बताते हैं कि वह कुछ दिनों में 20-30 वर्ष की महिलाओं में ऐसा मामला देखते हैं. उनका कहना है कि एक बार में अधिक शराब पीना, लंबे समय में धीरे-धीरे पीने से ज्यादा खतरनाक है.ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के एक शोध के अनुसार, बिंज ड्रिंकिंग (एक बार में अधिक मात्रा में शराब पीना) लिवर के लिए चार गुना अधिक हानिकारक हो सकता है. महिलाओं के लिए छह या उससे अधिक यूनिट शराब (लगभग दो बड़े वाइन ग्लास) एक सिटिंग में बिंज ड्रिंकिंग माना जाता है.
महिलाएं के लिए शराब ज्यादा खतरनाक
महिलाओं के शरीर में वसा प्रतिशत अधिक और पानी कम होता है, जिससे समान मात्रा में शराब पीने पर उनके खून में अल्कोहल का लेवल पुरुषों की तुलना में अधिक हो जाता है. पेट में शराब तोड़ने वाले एंजाइम भी कम होते हैं, जिससे शराब का असर लिवर तक अधिक मात्रा में पहुंचता है. यदि महिला को इंसुलिन रेजिस्टेंस, हाई कोलेस्ट्रॉल, हाई ट्राइग्लिसराइड्स या मोटापा है, तो खतरा और बढ़ जाता है.
जीवनशैली भी है बड़ा कारण
बेंगलुरु के मणिपाल अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. लोहित यू ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि खराब नींद और असंतुलित खानपान शराब के असर को और बढ़ा देते हैं. उन्होंने 30 वर्ष की एक महिला का उदाहरण दिया, जो देर रात सोती थी, फास्ट फूड पर निर्भर थी और वीकेंड पर शराब पीती थी. शराब छोड़ने के साथ-साथ सोने-जागने और खाने का समय तय करने पर उसकी सेहत में सुधार हुआ.
सावधानी ही बचाव है
विशेषज्ञों का कहना है कि शराब पुरुषों और महिलाओं दोनों की सेहत के लिए समान रूप से खतरनाक है. इसे कैरेक्टर से जोड़ना सही नहीं है, लेकिन महिलाओं को इससे बचने की ज्यादा जरूरत है. भले ही यह सोशल ड्रिंकिंग हो, पर नियमित रूप से वीकेंड पर अधिक मात्रा में पीना लिवर को नुकसान पहुंचा सकता है. महिलाएं इस नुकसान की शिकार जल्दी हो सकती हैं, इसलिए उन्हें अपनी सीमाएं तय करनी चाहिए और संतुलित जीवन शैली अपनानी चाहिए.
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Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.