साग उगानी है टॉप क्लास? तो जानें पानी का परफेक्ट फॉर्मूला, बंपर होगी पैदावार
साग की खेती में सिंचाई का सही तरीका फसल की सेहत और गुणवत्ता दोनों को तय करता है. रायबरेली जिले के कृषि विशेषज्ञ शिव शंकर वर्मा बताते हैं कि साग की नाजुक पत्तियों को न तो अधिक पानी चाहिए और न ही सूखी मिट्टी. हल्की फुहार से सिंचाई, नियमित अंतराल और मौसम के अनुसार पानी देना- यही हरे-भरे, स्वादिष्ट और पौष्टिक साग का राज है. जानिए साग की खेती में पानी देने का सही समय, तरीका और जरूरी टिप्स.
रायबरेली: साग की खेती में पानी का सही प्रबंधन फसल की गुणवत्ता और पैदावार, दोनों पर सीधा असर डालता है. जब बीज अंकुरित होकर पौधे का रूप ले लेते हैं, तो यही वह समय होता है जब किसानों को सिंचाई पर खास ध्यान देना चाहिए. साग की पत्तियां नाजुक होती हैं, इसलिए न तो बहुत ज़्यादा पानी देना चाहिए और न ही मिट्टी को पूरी तरह सूखने देना चाहिए. सही समय और मात्रा में पानी देने से साग की हरियाली लंबे समय तक बनी रहती है.
जब बीज बड़े होकर लगभग 3-4 इंच के पौधे बन जाएं, तो सिंचाई का तरीका बदलना आवश्यक हो जाता है. शुरुआती दिनों में हल्की फुहार वाली सिंचाई बेहतर रहती है ताकि पौधों की जड़ें मजबूत हो सकें. इस समय खेत में नालियों की व्यवस्था होनी चाहिए, जिससे अतिरिक्त पानी निकल सके और जलभराव की स्थिति न बने. अधिक पानी से साग की जड़ों में सड़न की संभावना बढ़ जाती है. संतुलित सिंचाई ही सफलता की कुंजी कृषि के क्षेत्र में 10 वर्षों का अनुभव रखने वाले, रायबरेली जिले के राजकीय कृषि केंद्र, शिवगढ़ के प्रभारी अधिकारी शिव शंकर वर्मा ने बताया, ‘साग की खेती में पानी का संतुलित उपयोग ही सफलता की कुंजी है. न ज़्यादा, न कम-बस समय पर और सही मात्रा में सिंचाई से ही फसल रहेगी हरी-भरी, कोमल और स्वादिष्ट.’
नमी का रखें खास ध्यान साग की फसल में मिट्टी का नमी-संतुलन सबसे महत्वपूर्ण होता है. खासकर पालक, मेथी, सरसों साग या चौलाई जैसी फसलों में यदि मिट्टी सूख जाती है, तो पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं और स्वाद भी प्रभावित होता है. इसलिए हर 4-5 दिन के अंतराल पर हल्की सिंचाई करना लाभकारी होता है. गर्म मौसम में पानी देने की आवृत्ति थोड़ी बढ़ा देनी चाहिए, जबकि ठंड के मौसम में यह अंतराल थोड़ा लंबा हो सकता है.
सिंचाई करते समय रखें ये बातें ध्यान में शिव शंकर वर्मा के अनुसार, अगर साग की खेती खुले खेत में की जा रही है, तो सुबह या शाम के समय पानी देना सबसे उपयुक्त होता है. दोपहर में पानी देने से मिट्टी की ऊपरी सतह जल्दी सूख जाती है और पौधों को पर्याप्त नमी नहीं मिल पाती. वहीं, यदि खेती पॉलीहाउस या नेटहाउस में की जा रही हो, तो ड्रिप सिंचाई प्रणाली सबसे बेहतर रहती है- इससे पानी सीधे जड़ों तक पहुंचता है और बर्बादी भी कम होती है. सिंचाई के साथ-साथ खेत की गुड़ाई और खरपतवार हटाना भी जरूरी है. जब पौधे थोड़े बड़े हो जाएं, तो हल्की गुड़ाई कर देनी चाहिए ताकि मिट्टी में हवा का संचार बना रहे और जड़ों की वृद्धि बेहतर हो सके. इससे पानी भी चारों ओर समान रूप से फैलता है और पौधे हरे-भरे बने रहते है.