Farmers’ new thinking leave their traditional farming, keep this new farming as your own – News18 हिंदी



अंजली शर्मा/कन्नौज. अब इत्र नगरी कन्नौज के किसान पिपरमिंट यानी मेंथा की खेती में भी अपनी अलग पहचान बना रहें हैं. परंपरागत खेती मक्का और आलू को छोड़ मेंथा किसानों की पहली पसंद बनकर उनकी आर्थिक समृद्धि का आधार बनी है. मेंथा ऑयल से तैयार इत्र कन्नौज बाराबंकी आदि जगहों पर अपनी सुगंध बिखेर रहा है. जनपद में कई हेक्टयर में इस वक्त इसकी खेती हो रही है.

इत्र नगरी कन्नौज के किसानों ने अपनी परंपरागत मक्का की खेती छोड़कर पिपरमेंट की खेती करना शुरू कर दिया है. प्लांट से खुद ही तेल निकालकर गैर जनपदों में बिक्री करते हैं. इससे उनको अच्छा मुनाफा होता है. जिला मुख्यालय कन्नौज से करीब 12 किमी दूर ईशननदी पुल के पास पिपरमेंट (मेंथा) से तेल निकालने का प्लांट लगा है.

मेंथा की फसल से किसान कर सकते हैं अच्छी कमाईयहां पर फगुहा, लोहामढ़, रतापुर्वा और बेहरिन के किसान फसल से तेल निकलवाने आते हैं. किसान रामजी कहते है कि हमको मक्का की फसल से पिपरमेंट की फसल बेहतर लगी. मैंने 10 बीघा में की है, आसपास करीब 300 बीघा में खेती होती है.

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मक्का रखे-रखे खराब हो जाती है. लेकिन पिपरमिंट का तेल कभी भी खराब नहीं होता है. जब इसका भाव बढ़ जाता है तो हम लोग बरेली और माधौनगर में बेच इसको बेच देते हैं. किसान रामजी ने बताया कि कम लागत में अच्छा मुनाफा इस फसल में मिलत है.

कितनी लगती है लागतएक बीघा में 10 किलोग्राम बीज पड़ता है. जिसकी कीमत 30 से-35 रूपए किलो है. इसमें 15 किग्रा यूरिया और एक किलोग्राम सल्फर पड़ता है. कुल लागत करीब 5 से 6 हजार रुपए तक आती है. एक बीघा में छह से 10 लीटर तेल निकलता है. अगर बाजार भाव अच्छा है तो 1000 से 1500 रूपए लीटर में तेल मिल जाता है.

क्या बोले अधिकारीअपर जिला कृषि अधिकारी हरेंद्र तिवारी बताते है कि पिपरमेंट का मुख्य सीजन लगाने का फरवरी से मार्च होता है. बोवाई से 75 से 90 दिनों के बीच यह तैयार हो जाता है. किसान इसकी पहली कटिंग करके इसकी दूसरी और तीसरी कटिंग भी कर सकता है 3-3 महीने के अंतराल पर. पहली कटिंग में भरपूर तेल की मात्रा मिलेगे और फिर दूसरी और तीसरी कटिंग में इसकी मात्रा कम हो जाती है. इस फसल में भी पानी की मात्रा बहुत लगती है. लेकिन किसान को इसमे मुनाफा अच्छा होता है.

किन-किन चीजों में होता है प्रयोगइस तेल का अधिकांश प्रयोग दवाओं में होता है. कास्मेटिक और पान में क्रिस्टल के रूप में लोग उपयोग करते हैं. ठंडा तेल बनाने में भी पिपरमेंट काम आता है. आयुर्वेदिक दवाओं में भी यह उपयोगी है. यह बहुत महंगा बिकता है, लेकिन यहां के किसान मक्का के अलावा कुछ और भी करना चाहते हैं. करीब 1,000 रूपए लीटर तक का बाजार में दाम रहता है. जिले में 3 से 4 हेक्टर में ही अभी पिपरमेंट की खेती कर रहा है किसान.
.Tags: Kannauj news, Up news in hindiFIRST PUBLISHED : May 19, 2023, 19:31 IST



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