Uttar Pradesh

Farmers cultivating brinjal in the summer season should pay special attention to these things – News18 हिंदी



सौरभ वर्मा/रायबरेली: होलिका दहन के बाद से ही गर्मी की शुरुआत हो गई है. ऐसे में किसान उन्हीं फसलों की खेती करते हैं जिनकी मौसम के अनुसार बाजारों में मांग ज्यादा रहती है. इन्हीं मौसमी सब्जियों में से बैगन भी है. आपको बता दें कि बैंगन की खेती के लिए खरीफ और रबी दोनों सीजन अनुकूल माने जाते हैं, क्योंकि शुष्क व गर्म जलवायु दोनों इसके लिए अच्छी मानी जाती है. क्योंकि इसमें कम लागत में किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं, तो आइए कृषि एक्सपर्ट से जानते हैं इस खास विधि के बारे में.

कृषि के क्षेत्र में 15 वर्षों का अनुभव रखने वाले रायबरेली के खुशहाली कृषि संस्थान के पूर्व प्रबंधक अनूप शंकर मिश्र बताते हैं कि बैंगन एक मिश्रित फसल है, जो खरीफ और रबी दोनों ही सीजन में तैयार हो जाती है. परंतु गर्मियों के मौसम में बैंगन की खेती करने वाले किसानों को यह ध्यान देना चाहिए कि खेत की मिट्टी का पीएच मान 6 से 7 होना चाहिए. इसी के साथ ही बैंगन की नर्सरी में बीज बुवाई के समय पर्याप्त मात्रा में ऑर्गेनिक खाद का उपयोग करना चाहिए. खेत में जल निकासी के साथ ही बलुई दोमट मिट्टी इस खेती के बेहद उपयोगी होती है.

ये है उन्नत किस्म की प्रजातियां

अनूप शंकर मिश्र बताते हैं कि खेत में बैंगन की क्यारी में लंबे फल की प्रजाति के लिए पौधे से पौधे की दूरी 70 से 75 सेंटीमीटर और गोल फल की प्रजाति के लिए पौधे से पौधे की दूरी 90 सेंटीमीटर के बीच होनी चाहिए. ग्रीष्मकालीन बैंगन की प्रजातियों में पूसा हाइब्रिड 9, विजय हाइब्रिड, पूसा क्लस्टर, पूसा क्रांति, पूसा हाइब्रिड 5 , आजाद क्रांति, पंत ऋतुराज, पंत सम्राट टी 3 शामिल हैं.

रोपाई के पहले करें यह काम

वह बताते हैं कि किसान पौधे की रोपाई से पहले प्रति हेक्टेयर की दर से 60 किलोग्राम फॉस्फोरस व पोटाश, 75 किलोग्राम नाइट्रोजन खेत में डाल देना चाहिए. इसके बाद जब पौधा फूल देने लगे तब दोबारा 75 किलोग्राम नाइट्रोजन को डाल दें. जिससे पौधे को भरपूर मात्रा में पोषक तत्व मिल जाएंगे और पौधे के स्वस्थ होने के साथ ही पैदावार में भी वृद्धि होगी. एक हेक्टेयर में फसल के लिए 250 से 300 ग्राम बीज की जरूरत पड़ती है.

कीटों से बचाव के लिए करें यह काम

गर्मियों के मौसम में बैंगन की फसल में तना छेदक कीट की सुंडी पौधों में लग जाती है, जो मुख्य तने तक पहुंच कर पौधे को सूखा देता है. इससे बचाव के लिए किसान रैटून फसल ना लें, क्योंकि इसमें कीट लगने का खतरा अधिक रहता है. किसान इससे बचाव के लिए पांच फेरोमोन ट्रैप लगाएं. साथ ही डेल्टामेंथ्रिन 1 मिलीलीटर फूल आने से पहले पौधों पर छिड़काव कर दें, जिससे पौधे में रोग नहीं लगेगा.
.Tags: Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : April 2, 2024, 10:11 IST



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