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Eyes ability to see is linked to breathing new study reveals | ब्रीदिंग से जुड़ी है आंखों की देखने की क्षमता, स्टडी का नया खुलासा



आंखों का पुतली आकार केवल बाहरी कारकों से ही प्रभावित नहीं होता, बल्कि एक नई शोध से यह पता चला है कि सांस लेने की प्रक्रिया भी पुतली के आकार को प्रभावित करती है. स्वीडन के कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने यह महत्वपूर्ण खोज की है.
इस शोध के परिणामों को जर्नल ऑफ फिजियोलॉजी में प्रकाशित किया गया है. सांस लेते समय पुतली सबसे छोटी होती है, जबकि सांस छोड़ते समय यह सबसे बड़ी हो जाती है. इस अध्ययन से यह समझ में आता है कि सांस लेने की प्रक्रिया दृष्टि और ध्यान को कैसे कंट्रोल कर सकती है. 
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ब्रीदिंग और आंखों की पुतली 
अब तक, यह माना जाता था कि पुतली के आकार को तीन प्रमुख कारक प्रभावित करते हैं: बाहरी रोशनी, फोकस दूरी और मानसिक भावनाएं या मानसिक प्रयास. हालांकि, यह शोध एक चौथे कारक को सामने लाता है: सांस लेना.  शोधकर्ताओं ने पाया कि पुतली की न्यूनतम स्थिति तब होती है जब हम श्वास ग्रहण करते हैं और यह सबसे बड़ी स्थिति तब होती है जब हम श्वास छोड़ते हैं.
शोध की विधि और परिणाम
शोधकर्ताओं ने पांच प्रयोगों में 200 से अधिक प्रतिभागियों के साथ अध्ययन किया, जिसमें यह देखा गया कि श्वास लेने से पुतली का आकार अलग-अलग परिस्थितियों में कैसे प्रभावित होता है. परिणामों ने यह साबित कर दिया कि यह प्रभाव तब भी जारी रहा जब प्रतिभागी तेजी से या धीरे-धीरे सांस लेते थे, मुंह से या नाक से श्वास लेते थे, या प्रकाश की स्थिति और फोकस दूरी में बदलाव करते थे. इन परिणामों ने यह सुझाव दिया कि श्वास के दौरान पुतली का आकार इतना बदल सकता है कि यह दृष्टि को प्रभावित कर सकता है.
देखने की क्षमता पर प्रभाव
अब शोधकर्ता यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि श्वास के दौरान पुतली का आकार बदलने से हमारी दृष्टि पर क्या असर पड़ता है. पहले के शोध में यह पाया गया था कि छोटी पुतलियां हमें छोटे विवरणों को बेहतर तरीके से देखने में मदद करती हैं, जबकि बड़ी पुतलियां हमें मुश्किल से दिखाई देने वाली वस्तुओं का पता लगाने में मदद करती हैं.
संभावित क्लिनिकल अनुप्रयोग
मार्टिन शैफर, करोलिंस्का इंस्टीट्यूट के पोस्टडॉक्टोरल शोधकर्ता और इस अध्ययन के पहले लेखक कहते हैं, “हमारे परिणाम यह सुझाव देते हैं कि हमारी दृष्टि एक श्वास चक्र के भीतर छोटे विवरणों को पहचानने और धुंधली वस्तुओं को देखने के लिए अनुकूलित हो सकती है. इस अध्ययन के परिणामों का चिकित्सा क्षेत्र में भी इस्तेमाल किया जा सकता है. यह नई दृष्टि परीक्षणों और उपचारों के विकास में सहायक हो सकता है.
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-एजेंसी-



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