Uttar Pradesh

“विश्वास जताना अपराध नहीं है,” कहते हैं एसपी नेता; जानें क्या कहा था एसटी हसन ने “मैं मुहम्मद से प्यार करता हूँ” पर।

मुरादाबाद में I LOVE MUHAMMAD लिखे बैनरों और जुलूसों पर उठे विवाद को संवेदनशील मुद्दा बताते हुए समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद डॉ. एस.टी. हसन ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि पैगंबर मोहम्मद से मोहब्बत का इजहार अपराध नहीं माना जा सकता और पुलिस को सख्ती से बचना चाहिए.

उनका कहना है कि इस मुद्दे को संवेदनशीलता से संभालना जरूरी है, वरना यह अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक गूंज सकता है. उन्होंने साफ किया कि मोहम्मद साहब से मुसलमानों की मोहब्बत का इजहार अपराध नहीं माना जा सकता और पुलिस को ऐसे मामलों में ज्यादा सख्ती नहीं दिखानी चाहिए. डॉ. हसन ने कहा कि किसी भी धर्म के अनुयायी को अपने भगवान या पैगंबर से मोहब्बत जताने का अधिकार है।

उन्होंने कहा कि “अगर कोई I LOVE MUHAMMAD लिखता है तो इसमें बुराई क्या है? बल्कि यह तो अच्छा होता कि मुसलमान के हाथ में जय श्री राम का बैनर भी हो और हिंदू के हाथ में I LOVE MUHAMMAD का. क्योंकि बहुत से लोग मानते हैं कि रामचंद्र जी भी किसी जमाने में मैसेंजर ऑफ गॉड रहे होंगे.” उनके मुताबिक, यह धार्मिक सद्भाव और आपसी सम्मान का प्रतीक बन सकता है।

मुरादाबाद में जुलूस और FIR का मुद्दा डीलारी इलाके में I LOVE MUHAMMAD लिखे बैनरों के साथ जुलूस निकाले जाने और उस पर FIR दर्ज होने के सवाल पर डॉ. हसन ने कहा कि “मुसलमान पैगंबर मोहम्मद साहब से इतनी मोहब्बत करते हैं कि जान, माल और औलाद तक उनके नाम पर कुर्बान कर सकते हैं. अगर FIR दर्ज हुई है, तो लोगों का जोश और मोहब्बत और ज्यादा बाहर आएगी. उन्होंने कोई अपराध नहीं किया, न तो मारपीट हुई, न आगजनी और न लूटमार. यह सिर्फ आस्था का इजहार है, इसे अपराध मानना सही नहीं होगा.”

उन्होंने चेतावनी भी दी कि पुलिस अगर सख्ती से पेश आई तो यह मामला अंतर्राष्ट्रीय मुद्दा बन सकता है. उन्होंने कहा कि पुलिस को समझदारी से संभालना चाहिए और धार्मिक भावनाओं का सम्मान करना चाहिए.

बिना अनुमति के जुलूस पर क्या कहा? जब उनसे पूछा गया कि बिना अनुमति के जुलूस निकालना सही है या नहीं, तो डॉ. हसन ने माना कि सूचना देना जरूरी था. उन्होंने कहा कि “नियम के अनुसार अनुमति लेनी चाहिए थी, लेकिन कई बार पुलिस माहौल शांत रखने के लिए चीज़ों को नज़रअंदाज़ करती है. इस मामले में भी पुलिस को यही करना चाहिए था. चाहे कोई जय श्री राम का जुलूस निकाले या I LOVE MUHAMMAD का- ये धार्मिक मामले हैं और अधिकांश हिंदू-मुसलमान इन दोनों शख्सियतों का सम्मान करते हैं.”

संवेदनशील मुद्दे को एहतियात से संभाले पुलिस पूर्व सांसद ने बार-बार यह दोहराया कि यह मामला बेहद संवेदनशील है. उन्होंने पुलिस और प्रशासन को आगाह करते हुए कहा कि आस्था से जुड़े ऐसे आयोजनों को सख्ती से दबाने की बजाय समझदारी से संभालना चाहिए. उनकी राय में, अगर धार्मिक भावनाओं का सम्मान किया जाए तो यह विवाद टल सकता है और समाज में सामंजस्य भी बना रहेगा.

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