Health

european researchers study says infected mother during pregnancy may affect child mental development | प्रेग्नेंसी में मां को हुआ ये इंफेक्शन, तो बच्चे के ब्रेन हेल्थ पर पड़ेगा असर; स्टडी में खुलासा



European Researchers Study Claims: पीयर-रिव्यूड जर्नल ‘ब्रेन मेडिसिन’ में पब्लिश्ड इस स्टडी के रिजल्ट न्यूरोडेवलपमेंटल और मनोरोग संबंधी विकारों जैसे ऑटिज्म, सिज़ोफ्रेनिया और डिप्रेशन के लिए जरूरी हो सकते हैं. स्लोवाकिया की स्लोवाक एकेडमी ऑफ साइंसेज की टीम ने नवजात चूहों के बच्चों में मां की इम्यूनिटी सिस्टम के एक्टिव होने (एमआईए) के हिप्पोकैंपस पिरामिडल न्यूरॉन्स पर असर की जांच की.
याददाश्त, फीलिंग्स और सोचने-समझने की क्षमताहिप्पोकैंपस ब्रेन का एक जरूरी हिस्सा है, जो याददाश्त, फीलिंग्स और सोचने-समझने में मदद करता है. रिसर्चर्स ने पाया कि प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली सूजन न्यूरॉन्स की एक्साइटमेंट को बहुत कम कर देती है, जिससे मां के इंफेक्शन से जुड़े न्यूरोडेवलपमेंटल बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.
पेट में पल रहे बच्चे के ब्रेन के ग्रोथ पर असरसंस्थान के डॉ. एलियाहू ड्रेमेनकोव ने कहा, “मां के संक्रमण ऑटिज्म, सिज़ोफ्रेनिया और डिप्रेशन जैसी बीमारियों के लिए एक जाना-माना जोखिम कारक हैं. हमारा शोध दिखाता है कि जन्म से पहले हिप्पोकैंपस न्यूरॉन्स के काम में बदलाव इन सूजनों को इन बीमारियों से जोड़ने का एक मुख्य कारण हो सकता है.” ध्यान देने वाली बात ये है कि प्रेगनेंसी के समय इंफेक्शन से इम्यूनिटी सिस्टम एक्टिव होती है, जिससे साइटोकाइन्स नाम की एक केमिकल मैसेंजर निकलते हैं. ये साइटोकाइन्स प्लेसेंटा को पार करके पेट में पल रहे बच्चे के ब्रेन के ग्रोथ पर असर डाल सकते हैं.
प्रेग्नेंट चूहों पर किया स्टडीरिसर्चर्स ने एक फेमस एनिमल मॉडल का इस्तेमाल करके प्रेग्नेंट चूहों में लिपोपॉलीसैकेराइड (एलपीएस) नाम के एक बैक्टीरिया के हिस्से से एमआईए (मातृ प्रतिरक्षा सक्रियण) पैदा किया, जो इम्यूनिटी सिस्टम को एक्टिव करता है. इसके बाद नवजात चूहों के बच्चों के हिप्पोकैंपस न्यूरॉन्स की जांच की गई ताकि यह पता लगाया जा सके कि प्रेगनेंसी में इम्यून एक्टिवेशन ने उनकी उत्तेजना पर कैसे असर डालता किया.
सीखने, याद रखने और फीलिंग्स को कंट्रोल करने के लिए जरूरी हैरिसर्च की प्रमुख लेखिका डॉ. लूसिया मोरावसिकोवा ने बताया, “हमने देखा कि एमआईए (मातृ प्रतिरक्षा सक्रियण) के संपर्क में आए बच्चों के न्यूरॉन्स को एक्टिव होने के लिए बहुत अधिक उत्तेजना चाहिए थी, उनकी प्रतिक्रिया देने की गति धीमी थी और वे कम बार सक्रिय हो रहे थे.” मोरावसिकोवा ने कहा, “इससे पता चलता है कि ग्लूटामेटेरिक न्यूरोट्रांसमिशन में गड़बड़ी हो रही है, जो सीखने, याद रखने और फीलिंग्स को नियंत्रित करने में बहुत जरूरी भूमिका निभाता है.”
इसके अलावा, टीम ने एमआईए के कॉन्टैक्ट में आने वाले नवजात शिशुओं में हिप्पोकैम्पल न्यूरॉन फंक्शन में बड़े बदलाव पाए. उन्होंने पाया कि न्यूरॉन्स को एक्टिव होने के लिए एक मजबूत उत्तेजना की जरूरत होती है, जो बिगड़ी हुई उत्तेजना की ओर इशारा करती है.—-आईएएनएस
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.



Source link

You Missed

Don't wish to come across as greedy by demanding Bihar deputy CM's post: Chirag Paswan
Top StoriesNov 21, 2025

बिहार के उपमुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए मांग करने से घटिया और लालची नज़र आने का डर, चिराग पासवान

पटना: केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने शुक्रवार को कहा कि वह द्वितीय मुख्यमंत्री के पद की मांग करने…

SIR is voter-list purification, says Amit Shah; calls Bihar win mandate against infiltrators in country
Top StoriesNov 21, 2025

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा, सीआरएफ देश में अवैध प्रवासियों के खिलाफ बिहार जीत का मांग का प्रतीक है

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की बिहार विधानसभा चुनावों में बड़ी जीत…

perfGogleBtn
Uttar PradeshNov 21, 2025

केमिकल के बिना अब बाल काले करने के लिए डाई लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, ट्राई करें यह लोहे वाली देसी तकनीक!

बाल और दाढ़ी का समय से पहले सफेद हो जाना आजकल युवाओं में सबसे अधिक देखने को मिल…

Scroll to Top