ज्यादा फैटी (फैटयुक्त) खाना खाने से शरीर के रोगों से लड़ने की क्षमता कमजोर हो जाती है. यह शरीर के इम्यून सिस्टम को बदल देता है. कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने यह दावा किया है. इतना ही नहीं, फैटी खाना खाने से कोरोना की चपेट में आने का खतरा भी होता है. इसके अलावा यह दिमाग पर भी असर डालता है.
यह शोध जर्नल साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित हुआ है. शोधकर्ताओं ने 24 हफ्तों के दौरान चूहों को तीन अलग-अलग आहार दिए. इन खानों में कम से कम 40% कैलोरी फैट से आई. इसके बाद उन्होंने चूहों की आंतों के सभी चार हिस्सों के साथ-साथ उनके माइक्रोबायोम को भी देखा.चूहों पर हुआ अध्ययनचूहों के एक ग्रुप को नारियल तेल से सेचुरेटेड फैट पर आधारित आहार दिया गया, दूसरे को संशोधित सोयाबीन तेल तथा तीसरे को फैट से भरपूर असंशोधित सोयाबीन तेल खाने में दिया गया. कम फैट वाली डाइट की तुलना में सभी तीन ग्रुप के जीन में बदलाव देखा गया. प्रोफेसर फ्रांसिस स्लेडेक ने कहा कि दावा किया जाता है कि पौधों पर आधारित डाइट बेहतर होते हैं.
हर दिन 10-15 फीसदी फैट के सेवन की सलाहयूसीआर में माइक्रोबायोलॉजिस्ट पूनमजोत देओल ने कहा कि कुछ लोग सोचते हैं कि मैं बस अधिक व्यायाम करूंगा और ठीक हो जाऊंगा. लेकिन नियमित रूप से इस तरह के भोजन से प्रतिरक्षा प्रणाली और दिमाग की कार्यप्रणाली पर असर पड़ता है. उन्होंने प्रतिदिन लगभग 10-15 प्रतिशत फैट के सेवन की सलाह दी है.
सोयाबीन तेल के अधिक उपयोग से नुकसानशोधकर्ताओं ने कहा है कि सोयाबीन तेल के अधिक उपयोग से नुकसान होते हैं. उन्होंने 2015 में पाया था कि सोयाबीन का तेल मोटापा, डायबिटीज और फैटी लिवर का कारण है. इसे ऑटिज्म, अल्जाइमर और डिप्रेशन के लिए भी जिम्मेदार माना गया.
भारत सहित कई देशों में उपयोग हो रहा तेलयूसीआर माइक्रोबायोलॉजिस्ट पूनमजोत देयोल ने कहा कि सोयाबीन के बारे में कुछ अच्छी चीजें हैं. लेकिन तेल का बहुत अधिक मात्रा में उपयोग अच्छा नहीं है. सोयाबीन तेल अमेरिका में सबसे अधिक खपत किया जाने वाला तेल है. ब्राजील, चीन और भारत सहित अन्य देशों में इसका तेजी से उपयोग होता है.

Assam IAS officer Nupur Bora arrested for assets 400 times her known income; Rs 2 crore seized
GUWAHATI: Nupur Bora, an Assam Civil Service Officer, was arrested in a case of possessing assets disproportionate to…