अभिषेक जायसवाल/ वाराणसी. बाबा विश्वनाथ का शहर बनारस (Banaras) पूरी दुनिया में अपनी गंगा जमुनी तहजीब के लिए जाना जाता है.आज भी इस प्राचीन शहर में हर त्योहार को हिन्दू मुस्लिम भाई मिलकर मनाते हैं. बुराई पर अच्छाई के प्रतीक का पर्व दशहरा (Dussehra) पर भी इसकी झलक देखने को मिलती है. शहर के बनारस रेल इंजन कारखाना (BLW) के रामलीला मैदान होने वाले दशहरा के लिए मुस्लिम परिवार रावण के पुतले को तैयार करता है. पिछले तीन पीढ़ियों से शमशाद का परिवार इस काम को करता आ रहा है.
शमशाद ने बताया कि दशहरा के रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाथ के पुतले को बनाने के लिए उनका पूरा परिवार जुटा रहता है. डेढ़ से दो महीनें तक वो 12 से 15 घण्टे काम कर 70 फीट ऊंचे रावण को तैयार करते हैं. कहा जाता है कि वाराणसी और आस पास के जिलों में जलने वाला ये सबसे बड़ा रावण होता है. दशहरा की शाम रामलीला के मंचन के साथ हजारों लोगों के उपस्तिथि में इस रावण को जलाया जाता है.
मिलती है खुशीमिली जानकारी के मुताबिक, 70 फीट ऊंचे रावण, 65 फीट के मेघनाथ और 60 फीट के कुम्भकर्ण को बनाने में करीब 2 लाख रुपये का खर्च आता है. इसके अलावा इसमें करीब 50 हजार रुपये के पटाखे लगाए जाते हैं. शमशाद ने बताया कि उन्हें और उनके परिवार को इस काम में खुशी के साथ ही सुकून भी मिलता है. यही वजह है कि शमशाद का परिवार पूरे सिद्दत से इस काम में जुटा रहता है. इसी तैयारी करीब एक महीने पहले से ही शुरू हो जाती है.
जुटती है लोगों की भारी भीड़वाराणसी के बीएलडब्लू के इस मैदान में होने वाले रावण दहन को देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं. शाम 4 बजने के साथ ही यहां का रामलीला मैदान भक्तों की भीड़ से भर जाता है. इसके अलावा भारी भीड़ मैदान के बाहर से भी इस लीला को देखती है.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|Tags: Uttar pradesh news, Varanasi newsFIRST PUBLISHED : October 01, 2022, 18:33 IST



Source link