महिलाओं और पुरुषों का शरीर अंदरूनी और बाहरी दोनों रूप से अलग-अलग है. जिसके कारण दोनों बॉडी हर चीज में अलग रिस्पॉन्ड करती है. यहां तक कि एक तरह का डाइट लेने या एक्सरसाइज करने के बाद भी दोनों के वेट लॉस में भी बहुत अंतर होता है.
एनसीबीआई में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, 58 में से 10 स्टडी में इस बात की पूष्टि हुई है कि महिलाओं के लिए वजन घटाना पुरुषों की तुलना में ज्यादा मुश्किल होता है. इसके पीछे का कारण मेटाबॉलिक और हार्मोनल है जो महिलाओं और पुरुषों में एक-दूसरे से अलग होते हैं.
इसलिए आसन नहीं महिलाओं के लिए वेट लॉस-
शरीर का निर्माण
आम तौर पर, महिलाओं में पुरुषों की तुलना में शरीर में वसा का प्रतिशत अधिक होता है और मांसपेशियों का प्रतिशत कम होता है. इसके कारण वजन घटाने की प्रक्रिया को धीमी हो जाती है.
मोटापे से जुड़ी बीमारियां
थायराइड, पीसीओएस जैसी मेडिकल कंडीशन मोटापे से संबंधित होती है. क्योंकि इसका खतरा पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ज्यादा होता है इसलिए इन बीमारियों से ग्रसित महिलाएं जल्दी वेट लॉस नहीं कर पाती हैं.
क्रेविंग और भूख
प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित 2009 के एक अध्ययन के अनुसार महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में अपने भूख और क्रेविंग को दबाने की क्षमता थोड़ी ज्यादा होती है.
प्रेगनेंसी
जिन महिलाओं का गर्भावस्था के दौरान वजन अत्यधिक बढ़ जाता है, उनमें 21 साल बाद अधिक वजन या मोटापा होने की संभावना दूसरी महिलाओं की तुलना में कई गुना तक बढ़ जाती है. हालांकि प्रेगनेंसी और इससे एक साल बाद तक नॉर्मल से ज्यादा वजन होना एक बात है.
सेक्स हार्मोन
एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे सेक्स हार्मोन शरीर की संरचना में एक बड़ी भूमिका निभाते हैं. महिलाओं में एस्ट्रोजन मुख्य हार्मोन होता है. ऐसे में कम या ज्यादा लेवल मोटापा, भूख की लालसा और इंसुलिन संवेदनशीलता को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है.
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