Uttar Pradesh

दिव्या ने अपनी माँ के सपनों को पूरा किया, संसाधनों की कमी के बावजूद गैलरी असिस्टेंट बनने के लिए अध्ययन किया। दिव्या प्रजापति की कहानी भावनाओं से भरी हुई है।

सुल्तानपुर में एक प्रेरणादायी कहानी

सुल्तानपुर। कहते हैं कि अगर दिल में हौसला और जुनून हो तो कोई भी इंसान किसी भी कठिनाई को पार कर सकता है। दृढ़ संकल्प और मेहनत के बल पर संसाधनों की कमी भी सफलता की राह में रोड़ा नहीं बनती। ऐसी ही प्रेरणादायी कहानी है झांसी की रहने वाली दिव्या प्रजापति की, जिन्होंने साधारण परिवार से आने के बावजूद संघर्षों को पार किया और आज सुल्तानपुर जनपद के जनपदीय संग्रहालय में गैलरी असिस्टेंट के पद पर कार्यरत हैं।

दिव्या प्रजापति का परिवार बेहद ही साधारण है। उनकी माता गृहणी हैं और घर का वातावरण भी बेहद सादा रहा। आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों के बावजूद दिव्या ने पढ़ाई के प्रति अपनी लगन को कभी कम नहीं होने दिया। वे बताती हैं कि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के दौरान उनके पास संसाधनों का अभाव था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। यही कारण है कि वे अपनी मेहनत और संघर्ष के बल पर आज सरकारी नौकरी प्राप्त कर समाज में एक प्रेरणा बन चुकी हैं।

दिव्या ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा झांसी जनपद से पूरी की। बचपन से ही पढ़ाई के प्रति उनका रुझान था। स्कूली शिक्षा के बाद जब उन्होंने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी शुरू की तो कठिनाइयां सामने आईं। कोचिंग के लिए बड़े शहर जाना या महंगे संसाधन जुटाना उनके लिए संभव नहीं था। ऐसे में उन्होंने ऑनलाइन कोचिंग को ही अपना सहारा बनाया। इंटरनेट और मोबाइल के माध्यम से तैयारी करते हुए उन्होंने अपने लक्ष्य को साधा।

संग्रहालय सहायक से गैलरी असिस्टेंट तक का सफर दिव्या की मेहनत का परिणाम तब सामने आया जब उनका चयन सबसे पहले संग्रहालय सहायक (Museum Assistant) के पद पर हुआ। यह उनके करियर की पहली बड़ी सफलता थी। लेकिन उनका सफर यहीं नहीं रुका। कड़ी मेहनत और लगन से उन्होंने प्रोन्नति प्राप्त की और अब वे गैलरी असिस्टेंट के पद पर कार्यरत हैं। यह पद न केवल जिम्मेदारी से भरा है बल्कि उनके संघर्ष और जुनून का भी प्रमाण है।

दिव्या का मानना है कि अगर लक्ष्य स्पष्ट हो और मेहनत ईमानदारी से की जाए तो कोई भी बाधा सफलता के मार्ग में रोड़ा नहीं बन सकती। साधारण परिवार और सीमित साधनों के बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी। कठिन परिस्थितियों में भी वे निरंतर पढ़ाई करती रहीं। आज वे अपनी मेहनत और जुनून से सुल्तानपुर जनपद के संग्रहालय में गैलरी असिस्टेंट के पद पर सेवा दे रही हैं।

दिव्या की कहानी एक प्रेरणादायी उदाहरण है कि कैसे संघर्ष और मेहनत के बल पर कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। उनकी सफलता की कहानी युवाओं के लिए एक प्रेरणा है और उन्हें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करती है।

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