Uttar Pradesh

दिल्ली को जहरीली हवा से राहत दिलाएगा कानपुर, आसमान में छोड़ी ये चीज, जानें कब होगी बारिश? का हिंदी अनुवाद है:दिल्ली को जहरीली हवा से राहत दिलाएगा कानपुर, आसमान में छोड़ी गई ये चीज, जानें कब होगी बारिश।

दिल्ली को जहरीली हवा से राहत दिलाएगा कानपुर, आसमान में छोड़ी ये चीज

कानपुर. दिल्ली की खराब होती हवा से लोगों को राहत देने के लिए एक अनोखा प्रयोग किया गया. IIT कानपुर की टीम ने राष्ट्रीय राजधानी के ऊपर क्लाउड सीडिंग यानी कृत्रिम बारिश का ट्रायल किया. यह ऑपरेशन करीब 25 नाविक मील लंबे और 4 नाविक मील चौड़े इलाके में किया गया, जो खेकरा से लेकर बुराड़ी के उत्तर हिस्से तक फैला हुआ था. इस पूरे अभियान में IIT कानपुर के वैज्ञानिकों, दिल्ली सरकार और मौसम विभाग की टीम ने मिलकर काम किया था.

सुबह पहली उड़ान ने 4,000 फुट की ऊंचाई से छह फ्लेयर छोड़े. इन फ्लेयर में खास तरह के रसायन होते हैं, जैसे सिल्वर आयोडाइड और नमक के कण, जो बादलों में जाकर बारिश को बढ़ावा देते हैं. ये फ्लेयर करीब 18 मिनट तक जलते रहे. इसके बाद दोपहर 3:55 बजे दूसरी उड़ान हुई, जिसमें 5,000 से 6,000 फुट की ऊंचाई से आठ फ्लेयर छोड़े गए. यह उड़ान दिल्ली के उत्तरी इलाकों तक गई और वहां भी बादलों में रासायनिक कण छोड़े गए.

वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर मौसम ने साथ दिया तो इन फ्लेयर से बने बादलों से हल्की बारिश हो सकती है. बारिश होने पर हवा में तैर रहे धूल और धुएं के कण नीचे गिर जाते हैं, जिससे प्रदूषण कम होता है. इससे लोगों को थोड़ी राहत मिल सकती है और दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) भी सुधर सकता है. हालांकि यह राहत कुछ समय के लिए ही होगी क्योंकि असली कारण— जैसे वाहन से निकलने वाला धुआं, निर्माण की धूल और पराली जलाना जारी रहते हैं.

दिल्ली में पिछले कई दिनों से प्रदूषण का स्तर बहुत खराब है. कई जगहों पर AQI 400 से ऊपर दर्ज किया गया है, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है. ऐसे में IIT कानपुर का यह प्रयोग उम्मीद की नई किरण लेकर आया है. सोशल मीडिया पर भी लोग इस कदम की तारीफ कर रहे हैं. कुछ लोगों ने लिखा कि अगर इससे थोड़ी भी बारिश होती है तो हवा में सुधार जरूर होगा.

IIT कानपुर के वैज्ञानिकों ने बताया कि यह ट्रायल सफल रहा तो आने वाले दिनों में और भी जगहों पर इसी तरह के क्लाउड सीडिंग प्रयोग किए जाएंगे. इससे दिल्ली और आसपास के इलाकों की हवा को थोड़ा साफ किया जा सकेगा. विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम सही दिशा में है और प्रदूषण से जूझती राजधानी के लिए यह एक अहम कोशिश है.

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