ग्रेटर नोएडा की हवा एक बार फिर जहरीली हो गई है. वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 201 दर्ज होने के साथ ही यह देश का तीसरा सबसे प्रदूषित शहर बन गया है. जिले की हवा एक बार फिर जहरीली हो गई है. सोमवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 201 दर्ज किया गया, जिससे ग्रेटर नोएडा देश का तीसरा सबसे प्रदूषित शहर बन गया है. सड़कों पर उड़ती धूल, टूटी सड़कें और प्रशासनिक लापरवाही इस स्थिति के लिए जिम्मेदार मानी जा रही हैं. बारिश के बाद सड़कों की मरम्मत न होने के कारण शहर की अधिकांश सड़कें उखड़ चुकी हैं.
इन पर वाहनों के गुजरते ही भारी मात्रा में धूल उड़ती है, जिससे वायुमंडल में PM 10 और PM 2.5 जैसे खतरनाक कणों की मात्रा बढ़ गई है. यह प्रदूषण स्तर ‘खराब’ श्रेणी में आता है, जो बुजुर्गों, बच्चों और अस्थमा जैसे रोगियों के लिए गंभीर खतरा बन सकता है. देश के टॉप 3 सबसे प्रदूषित शहरों में ग्रेटर नोएडा तीसरे स्थान पर है, जबकि अजमेर पहले और विशाखापत्तनम दूसरे स्थान पर है.
गर्मी और उमस ने बढ़ाई मुश्किल
सोमवार को अधिकतम तापमान 34.3°C और न्यूनतम तापमान 26.9°C दर्ज किया गया. 96% आर्द्रता के कारण भारी उमस रही, जिससे प्रदूषित हवा और ज्यादा घातक हो गई है. पर्यावरण विशेषज्ञ विक्रांत तोंगड़ का कहना है, ‘ग्रेटर नोएडा में एयर क्वालिटी पहले से ही सालभर खराब रहती है। वर्तमान AQI 200 से ऊपर है, जबकि WHO के मानकों के अनुसार यह 0 से 50 के बीच होना चाहिए. यह स्थिति विशेष रूप से ठंड के मौसम में और गंभीर हो जाती है.’
उन्होंने कहा कि शहर में हरियाली बढ़ाने, वाहनों का दबाव कम करने और अवैध IMC प्लांट्स पर कार्रवाई करने की जरूरत है. ग्रेटर नोएडा की हवा की स्थिति को सुधारने के लिए प्रशासन को तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है.