अयोध्या में आज भी है भव्य दशरथ महल, त्रेताकाल से जुड़ा है इसका इतिहास
अयोध्या धाम में स्थित दशरथ महल न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह वह पवित्र स्थल है जहां त्रेता युग की परंपराएं आज भी उसी गरिमा और भाव से निभाई जाती हैं। यहां ठाकुर जी सपरिवार विराजमान माने जाते हैं, और प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं।
अयोध्या में कई ऐसे प्राचीन मठ मंदिर हैं जिनकी परंपरा और मान्यता अद्भुत है। इन्हीं में से एक मंदिर अयोध्या में दशरथ महल है। त्रेता युग की परंपराओं का यह स्थल आज भी उसी विधि-विधान से निभाता है, जैसा कि प्राचीन काल में होता था। यहां ठाकुर जी के विवाह का उत्सव दिव्य स्वरूप में मनाया जाता है, जो विशेषकर विवाह पंचमी के अवसर पर होता है।
दशरथ महल का इतिहास त्रेता काल से जुड़ा हुआ है। यह वह महल था जहां महाराज दशरथ अपने चारों पुत्र श्रीराम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न के साथ सिंहासन लगाते थे। युगों के परिवर्तन के बावजूद इस स्थल की दिव्यता आज भी उतनी ही अक्षुण्ण बनी हुई है।
कलयुग में भी यह महल अपने पारंपरिक स्वरूप को संजोए हुए है। मान्यता है कि जिस प्रकार त्रेता युग में प्रभु श्रीराम साक्षात इस महल में विराजते थे, ठीक उसी तरह आज भी ठाकुर जी अपने समस्त परिवार के साथ यहां विराजमान हैं और भक्तों को दिव्य दर्शन दे रहे हैं।
दशरथ महल में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु दर्शन-पूजन के लिए पहुंचते हैं। मान्यता है कि यहां मात्र दर्शन करने से ही पाप नष्ट होते हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शांति प्राप्त होती है। महल में होने वाले उत्सवों की भव्यता अद्वितीय होती है, जो दर्शकों को आकर्षित करती है।
धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के कारण दशरथ महल अयोध्या के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। यहां आने वाले श्रद्धालु त्रेता युग की उस पवित्र परंपरा का अनुभव करते हैं, जिसका अमिट प्रभाव आज भी अयोध्या की संस्कृति और अध्यात्म में गहराई से समाया हुआ है।
दिव्यता, आस्था और परंपराओं का यह जीवंत संगम दशरथ महल को न सिर्फ अयोध्या बल्कि समूचे भारतवर्ष का अनमोल आध्यात्मिक धरोहर बनाता है।

