Dharohar : झांसी की स्थापत्य कला का अद्वितीय उदाहरण मुगल शैली में ईंटों से बनी ये छतरी, जानें खासियत  

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Last Updated:May 07, 2025, 16:12 ISTDharohar : महाराजा गंगाधर राव की छतरी एक ऐतिहासिक स्मारक है. इसे महाराजा गंगाधर राव के सम्मान में बनाया गया था, जो 1853 में अपनी मृत्यु तक झांसी के राजा थे. ईंटों से बनी यह ‘छतरी’ एक प्रांगण के बीच में स्थित है…और पढ़ेंX

महाराजा गंगाधर राव की छतरी हाइलाइट्समहाराजा गंगाधर राव की छतरी झांसी की धरोहर है.मुगल शैली में ईंटों से बनी यह छतरी अद्वितीय है.यह स्मारक पुरातत्व विभाग के अधीन है.झांसी : झांसी एक ऐतिहासिक भूमि है. भारत की आजादी के पहले संग्राम में झांसी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. झांसी में कई ऐतिहासिक इमारतें हैं जो धरोहर मानी जाती हैं. लोकल 18 की धरोहर सीरीज में हम आपको ऐसी ही पुरानी धरोहरों की जानकारी देंगे. झांसी के आखिरी महाराज गंगाधर राव की समाधि भी एक धरोहर है, जिसे महाराज गंगाधर राव की छतरी के नाम से जाना जाता है.

1853 में महाराजा गंगाधर राव की मृत्यु के बाद, उनकी पत्नी रानी लक्ष्मीबाई ने इस छतरी या समाधि का निर्माण करवाया था. ईंटों से बनी यह ‘छतरी’ एक प्रांगण के बीच में स्थित है. इसे चूने से प्लास्टर किया गया है और प्लास्टर में विभिन्न पैटर्न से सजाया गया है. परिसर में 2 द्वार हैं, जिनमें मुख्य द्वार दक्षिण की ओर है. मुख्य ‘छतरी’ एक चौकोर मंच पर खड़ी है जो पत्थर के आकार का है. बारादरी में प्रत्येक तरफ तीन मेहराबदार प्रवेश द्वार हैं. बारादरी की सपाट छत पत्थर के खंभों पर टिकी हुई है. ऊपरी हिस्से के पैनल विभिन्न आकृतियों से सजे हुए हैं. पूर्व की ओर एक चित्र में शायद राजा गंगाधर राव खुद को दर्शाया गया है.

मुगल शैली में हुआ है निर्माणडॉ. आशीष दीक्षित ने बताया कि प्रांगण की प्राचीर पर प्रत्येक दिशा में कमल पंखुड़ियों से आवृत धनुषाकार वितान बनाए गए हैं. उत्तर दिशा के वितान पर 2 सिंहों के मध्य महाराजा गंगाधर राव की प्रतिमा चूने से बनाई गई है. झांसी में किसी राजपुरुष की यह एकमात्र प्रतिमा है, इसलिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण है. मुगल शैली में ईंट निर्मित यह समाधि चाहरदीवारी के मध्य उद्यान में एक बारादरी के रूप में बनाई गई है. यह बलुआ पत्थर की बारादरीनुमा लघु छतरी है, जिसमें प्रवेश हेतु चारों तरफ 3-3 द्वार हैं.

झांसी की स्थापत्य कला का अद्वितीय उदाहरणइन दरवाजों के मेहराब और बहुकोणीय स्तंभों पर लता, पुष्पों और कमल पंखुड़ियों को सुंदरता से उकेरा गया है. इसकी छत सपाट है और चारों ओर अलंकृत छज्जा लगा है. छज्जे के टूड़ों के मध्य बने लघु चित्र अब समाप्त हो गए हैं. स्मारक में कौड़ी और चूने के मसाले से बनी विभिन्न आकृतियां देखने योग्य हैं. यह छतरी झांसी की उत्कृष्ट स्थापत्य कला का अद्वितीय उदाहरण है. वर्तमान समय में यह स्मारक पुरातत्व विभाग के अधीन है और महाराजा गंगाधर राव की पुण्यतिथि पर यहां कार्यक्रम आयोजित किया जाता है.

Location :Jhansi,Jhansi,Uttar Pradeshhomeuttar-pradeshझांसी की स्थापत्य कला का अद्वितीय उदाहरण मुगल शैली में ईंटों से बनी ये छतरी

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