धान के लिए अमृत हैं ये तीन उर्वरक, लेकिन बिना सोचे समझे किया इनका इस्तेमाल तो हो सकता भारी नुकसान..जानें एक्सपर्ट की राय

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मऊ: धान की फसल में अच्छी उपज के लिए उर्वरकों का संतुलित प्रयोग बहुत जरूरी है. सही समय पर उचित मात्रा में उर्वरक देने से फसल की बढ़वार तेज होती है और उत्पादन में वृद्धि होती है. किसानों को उर्वरक प्रयोग के लिए मृदा परीक्षण के आधार पर योजना बनानी चाहिए, ताकि खेत की ज़रूरत के अनुसार पोषक तत्वों की पूर्ति हो सके.

लोकल 18 से बात करते हुए जिला कृषि अधिकारी सोम प्रकाश गुप्ता ने बताया कि अक्सर किसान अपने खेतों में ज्यादा उर्वरक डाल देते हैं, जिससे धान की फसल को नुकसान होता है, जबकि सही माप के अनुसार उर्वरक डालने से धान की फसल की उपज बेहतर होती है.

धान के लिए जरूरी उर्वरक

धान की खेती में मुख्य रूप से तीन प्रकार के उर्वरक आवश्यक होते हैं: नाइट्रोजन (N), फास्फोरस (P) और पोटाश (K). एक सामान्य औसत के अनुसार प्रति हेक्टेयर धान फसल के लिए 100 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस और 40 किलोग्राम पोटाश की आवश्यकता होती है.

हालांकि, यह मात्रा मिट्टी की उर्वरता और किस्म पर निर्भर करती है. यदि आप उर्वरक का प्रयोग करना चाहते हैं, तो धान की नर्सरी में प्रति एकड़ 10 किलोग्राम यूरिया (नाइट्रोजन स्रोत) का प्रयोग करें. रोपाई के लिए खेत तैयार करते समय फास्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा तथा नाइट्रोजन की एक तिहाई मात्रा बेसल डोज़ के रूप में मिलाएं. टॉप ड्रेसिंग के लिए नाइट्रोजन की बची दो तिहाई मात्रा को दो बराबर भागों में बाँटकर पहली बार रोपाई के 20-25 दिन बाद और दूसरी बार 40-45 दिन बाद दें.

मिट्टी में मिलाकर करें उर्वरक का इस्तेमाल

उर्वरक हमेशा मिट्टी में मिलाकर दें, ताकि वह सीधे पौधों की जड़ों तक पहुँच सके. यूरिया का छिड़काव वर्षा से पहले या सिंचाई के तुरंत बाद करें, ताकि नाइट्रोजन का नुकसान न हो. धान की फसल में उर्वरकों का संतुलित और समय पर प्रयोग करने से फसल स्वस्थ रहती है और पैदावार में इज़ाफा होता है.

वैज्ञानिक सलाह है जरूरी

किसान भाई यदि वैज्ञानिक सलाह लेकर उर्वरकों का प्रयोग करें, तो कम लागत में अधिक मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं. जैसे कि यदि वह समय से मृदा परीक्षण के अनुसार उर्वरक का प्रयोग करें, तो प्रति एकड़ 4 किलोग्राम उर्वरक का उपयोग करें, जिससे धान की फसल की उपज बेहतर होगी, जबकि देखा जाता है कि लोग ज्यादा उर्वरक का प्रयोग करते हैं, जिससे मिट्टी और फसल दोनों को नुकसान होता है.

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