Uttar Pradesh

देश की सबसे पुरानी जेल के अपने रेडियो ने पूरे किए 4 साल, अब बंदी रेडियो जॉकी की नई खेप होगी तैयार



नई दिल्‍ली : देश की सबसे पुरानी जेल आगरा के रेडियो ने अपने चार साल पूरे कर लिए हैं. 1741 में मुगलों के जमाने में बने जिला जेल आगरा में स्थापित रेडियो बंदियों की जिंदगी का सहारा बन गया है. खासकर कोरोना के दौरान यह बंदियों का बड़ा सहारा बना. इसके तहत अब तिनका-तिनका फाउंडेशन नए रेडियो जॉकी तैयार करवाएगा. जेल अधीक्षक हरि ओम शर्मा के नेतृत्व में बंदियों की नई खेप की ट्रेनिंग जल्द ही करवाई जाएगी. 31 जुलाई 2019 को स्थापित यह रेडियो कार्यक्रम बंदियों में अवसाद कम करने में कारगर साबित हुआ है.

दरअसल, ठीक चार साल पहले 31 जुलाई को इस रेडियो का शुभारंभ एसएसपी बबलू कुमार, जेल अधीक्षक शशिकांत मिश्रा और तिनका-तिनका की फाउंडेशन संस्थापिका डॉ. वर्तिका नन्दा ने किया था. जेल रेडियो की परिकल्पना और उसका प्रशिक्षण डॉ. वर्तिका ने करवाया था. उस समय आईआईएम बेंगलुरु से स्नातक महिला बंदी तुहिना और स्नातकोत्तर पुरुष बंदी उदय को रेडियो जॉकी बनाया गया था. बाद में एक और बंदी रजत इसके साथ जुड़ा. तुहिना उत्तर प्रदेश की जेलों की पहली महिला रेडियो जॉकी बनी. रेडियो के लिए स्क्रिप्ट बंदी ही तैयार करते हैं.

आगरा जिला जेल का रेडियो अब काफी चर्चा में है और अपनी निरंतरता से उसने जेल को मानवीय बनाने में मदद की है. अब प्रदेश की पांच सेंट्रल जेल और कम से कम 20 जिला जेलों में रेडियो शुरु किए जा चुके हैं.

तैयार होगी जेल बंदी रेडियो जॉकी की नई खेपआगरा जिला जेल के नए अधीक्षक हरिओम शर्मा के नेतृत्व में इस जेल में अब बंदियों का चयन होगा और उन्हें रेडियो जॉकी की ट्रेनिंग दी जाएगी. ट्रेनिंग का काम तिनका-तिनका फाउंडेशन करेगी. यह काम अगस्त में शुरू होने की संभावना है.

तिनका तिनका जेल: देश की सबसे पुरानी जेल और उसका अपना रेडियो

जेल रेडियो के प्रयोगआगरा जिला जेल का यह ‘जेल रेडियो’ उत्तर प्रदेश की बाकी जेलों में एक नींव बना. कोरोना के दौरान जेल में बंदियों के मनोबल को बढ़ाया. इसी रेडियो के जरिए जेल में अहम सूचनाएं बंदियों तक पहुंचाई गईं. मुलाकातें बंद होने पर यही उनके संवाद का सबसे बड़ा जरिया बना. इसकी मदद से बंदियों को कोरोना के प्रति जागरुक किया जाता रहा. वे इसके जरिए अपनी पसंद के गाने सुन पाते हैं. अपनी हिस्सेदारी को लेकर उनमें खूब रोमांच भी रहता है. महिला बंदियों को कजरी गीत गाने में विशेष आनंद आता है. रेडियो की पंच लाइन ‘कुछ खास है हम सभी में’ ने सबमें प्रेरणा का संचार किया है.

इस दौरान डॉ. वर्तिका नन्दा ने उतर प्रदेश की जेलों पर एक विशेष शोध किया, जोकि भारतीय जेलों में महिलाओं और बच्चों की संचार की जरूरतों पर आधारित था. 2020 में ICSSR के लिए किए गए उनके इस शोध को उत्कृष्ट माना गया और अब यह एक पुस्तक के रूप में सामने आ रहा है. इस शोध के केंद्र में जिला जेल आगरा थी.

बता दें कि डॉ. वर्तिका नन्दा भारत की स्थापित जेल सुधारक, मीडिया शिक्षक और लेखिका हैं. 2014 में भारत के राष्ट्रपति से स्‍त्री शक्ति पुरस्‍कार से सम्मानित डॉ. नन्‍दा को यह पुरस्कार मीडिया और साहित्य के जरिए महिला अपराधों के प्रति जागरूकता लाने के लिए दिया गया. हरियाणा और उत्तराखंड की जेलों में रेडियो लाने का श्रेय भी उन्हीं को जाता है. 2019 में तिनका-तिनका इंडिया अवार्ड का थीम भी जेल में रेडियो ही था और इसका समारोह जिला जेल, लखनऊ में आयोजित किया गया था. जेलों पर लिखी वर्तिका नन्दा की तीन किताबें- तिनका-तिनका तिहाड़, तिनका-तिनका डासना और तिनका तिनका मध्य प्रदेश- जेल-जीवन पर प्रामाणिक दस्तावेज मानी जाती हैं. उनकी स्थापित तिनका-तिनका फाउंडेशन ने देश की जेलों पर पहले और इकलौते पॉडकास्ट-तिनका तिनका जेल रेडियो की शुरुआत की है. इन्हें यूट्यूब पर तिनका तिनका जेल रेडियो के नाम से प्रसारित किया जाता है.
.Tags: Agra Central Jail, Tinka Tinka Foundation, Vartika NandaFIRST PUBLISHED : July 31, 2023, 10:22 IST



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