Uttar Pradesh

दीये की रौशनी में पढ़कर पहुंची जापान, छप्पर के घर से निकली बाराबंकी की ‘साइंटिस्ट बेटी’!

बाराबंकी- उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के अगेहरा गांव की रहने वाली पूजा ने वो कर दिखाया, जो बड़े-बड़े संसाधनों वाले भी सोच नहीं पाते. छप्पर के घर में, बिना बिजली और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं के बीच पढ़ाई कर, पूजा ने विज्ञान के क्षेत्र में अपनी प्रतिभा से न सिर्फ भारत का नाम रोशन किया, बल्कि जून 2025 में जापान जाकर देश का प्रतिनिधित्व भी किया.

कठिन हालात में भी नहीं टूटी पूजा की हिम्मतपूजा की पारिवारिक स्थिति बेहद कमजोर है. पिता पुत्तीलाल दिहाड़ी मजदूरी करते हैं और मां सुनीला देवी एक स्कूल में रसोइया हैं. उनका घर खरपतवार से छप्पर बनाकर खड़ा किया गया है, जहां पांच भाई-बहनों के साथ पूजा रहती हैं. पढ़ाई के लिए आज भी दीये की रोशनी ही उनका सहारा है.

हालांकि जिलाधिकारी ने उनके घर के लिए बिजली कनेक्शन और शौचालय की स्वीकृति दी है, लेकिन खंभे से घर तक केबल लाने के लिए आर्थिक स्थिति बाधा बन रही है. बिजली का मीटर घर तक पहुंच चुका है, फिर भी रोशनी अब तक दरवाजे के भीतर नहीं आई.

घर के कामों में भी अव्वल है पूजापूजा न केवल पढ़ाई में अव्वल हैं, बल्कि घर की जिम्मेदारियों में भी बराबरी से योगदान देती हैं. वह चारा काटना, पशुओं की देखभाल और घरेलू कार्यों में माता-पिता का हाथ बंटाती हैं. इसके बावजूद वह पढ़ाई का समय निकालती हैं और कभी हार नहीं मानतीं.

कक्षा 8 में बनाया था पहला विज्ञान मॉडल
पूजा को पहली बार पहचान तब मिली जब उन्होंने कक्षा 8 में “धूल रहित थ्रेशर मशीन” का मॉडल बनाया. स्कूल के पास थ्रेशर मशीन से उड़ने वाली धूल से बच्चों को परेशानी होती थी. पूजा ने पंखे और टिन की मदद से ऐसा मॉडल तैयार किया, जो उड़ने वाली धूल को एक थैले में समेट लेता था. उनका यह आविष्कार न केवल पर्यावरण के लिए बेहतर था, बल्कि किसानों के लिए भी वरदान साबित हो सकता है.

जापान में भारत का किया प्रतिनिधित्वभारत सरकार ने जून 2025 में पूजा को जापान शैक्षिक भ्रमण के लिए भेजा, जहां उन्होंने अपने विचारों और मॉडल से अंतरराष्ट्रीय मंच पर तारीफें बटोरीं. यह सिद्ध कर दिया कि अगर प्रतिभा हो, तो संसाधनों की कमी कभी बाधा नहीं बनती.

अब गांव के बच्चों को संवारने का सपना
जापान यात्रा के बाद अब पूजा का सपना है कि वह अपने गांव के गरीब बच्चों को पढ़ाएं और उन्हें भी आगे बढ़ने की राह दिखाएं. वह चाहती हैं कि जो संघर्ष उन्होंने किया, वह अगली पीढ़ी को न करना पड़े.

प्रशासन और समाज से है उम्मीदपूजा की कहानी जहां प्रेरणा है, वहीं सिस्टम के लिए एक सवाल भी है क्यों एक अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतिभा आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित है? स्थानीय नागरिकों और जनप्रतिनिधियों की मांग है कि प्रशासन पूजा को बिजली, शौचालय, पढ़ाई के लिए उपकरण और उचित आर्थिक सहायता जल्द उपलब्ध कराए ताकि उसकी उड़ान और ऊंची हो.

Source link

You Missed

Justice Surya Kant to take oath on Monday as next Chief Justice of India
Top StoriesNov 23, 2025

भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश के रूप में न्यायाधीश सूर्य कांत का लोकपाल पद पर शपथग्रहण मंगलवार को होगा।

अदालत का यह फैसला राज्य विधानसभा द्वारा पारित किए गए विधेयकों के साथ राज्यपाल और राष्ट्रपति के अधिकारों…

भाई-बहन के बीच जीजा ने मारी एंट्री, रास्ते में लगा लिए दो पैग, फिर जो हुआ...
Uttar PradeshNov 23, 2025

डीडीयू जंक्शन: ठंड शुरू होते ही ट्रेनों की टाइमिंग गड़बड़ाई, कोई 13 घंटे तो कोई 11 घंटे है लेट

डीडीयू जंक्शन पर ठंड की शुरुआत के बाद ट्रेनों की टाइमिंग गड़बड़ा गई है. लगातार ट्रेनें विलंब से…

Deccan Chronicle
Top StoriesNov 23, 2025

अनुपमा परमेश्वरन ने पहली प्रमुख भूमिका और दूसरी प्रमुख भूमिका के लिए इनकार कर दिया है

अनुपमा परमेश्वरन, जिन्होंने हाल ही में तेलुगु फिल्म किश्किंधा पुरी में दिखाई दी थी और ड्रैगन, द पेट…

Scroll to Top