Deadly fungi growing in ancient tombs will now be a cure for blood cancer research claims| प्राचीन कब्रों में पनपने वाले घातक फफूंद, अब ब्लड कैंसर का बनेंगे इलाज, रिसर्च का दावा

admin

Deadly fungi growing in ancient tombs will now be a cure for blood cancer research claims| प्राचीन कब्रों में पनपने वाले घातक फफूंद, अब ब्लड कैंसर का बनेंगे इलाज, रिसर्च का दावा



एक ऐसा फफूंद जिसे कभी “फराओ का श्राप” कहा गया था, अब खून के कैंसर यानी ल्यूकेमिया के इलाज में कारगर साबित हो सकता है. वैज्ञानिकों ने पाया है कि एस्परगिलस फ्लेवस नामक यह फफूंद, जो आमतौर पर मिट्टी, सूखे पौधों और अनाज में पाया जाता है, बेहद घातक होता है और कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों में जानलेवा संक्रमण फैला सकता है.
यह वही फफूंद है जिसे राजा तुतनखामुन की कब्र खोलने के बाद कई पुरातत्वविदों की रहस्यमयी मौत से जोड़ा गया था. लेकिन अब अमेरिका के पेंसिल्वेनिया और टेक्सास की शोध टीम ने इसी फफूंद से एक नई दवा की खोज की है जो ल्यूकेमिया कोशिकाओं को मारने में कारगर है. यह स्टडी नेचर केमिकल बायोलॉजी’ नामक जर्नल में प्रकाशित हुई है.
कैंसर सेल्स को खत्म करने में मददगार
शोधकर्ताओं ने फंगस से एस्परिजाइमायसिन्स नामक अणुओं की पहचान की है. ये अणु खास तरह के इंटरलॉकिंग रिंग स्ट्रक्चर वाले होते हैं. इन अणुओं को जब ल्यूकेमिया कोशिकाओं पर परखा गया, तो चार में से दो वेरिएंट्स ने कैंसर कोशिकाओं को मारने में शानदार परिणाम दिखाए.
दवाओं जैसा असर 
वैज्ञानिकों ने एक विशेष लिपिड (वसा युक्त अणु), जो शाही शहद में भी पाया जाता है, को एस्परिजाइमायसिन से जोड़ा. इसके परिणाम चौंकाने वाले थे. यह संयोजन ल्यूकीमिया को ठीक करने वाली दो प्रमुख दवाओं, साइटाराबाइन और डॉनोरूबिसिन, जितना ही प्रभावी साबित हुआ. हालांकि वैज्ञानिकों बताया कि एस्परिजाइमायसिन्स का प्रभाव केवल ल्यूकीमिया पर देखा गया. यह फेफड़े, लिवर और स्तन कैंसर पर असरदार नहीं पाए गए.
जल्द शुरू होगा ट्रायल
शोधकर्ता अब इन अणुओं को जानवरों पर आजमाएंगे, जिससे आगे चलकर इंसानों पर ट्रायल किया जा सके. शोध के वरिष्ठ लेखक डॉ. शैरी गाओ ने कहा कि प्रकृति ने हमें पेनिसिलिन दी थी, अब उसने हमें एक और अनमोल तोहफा दिया है. हमारी जिम्मेदारी है कि हम प्रकृति के इस फार्मेसी से और भी रहस्य खोलें और नई दवाएं बनाएं.
 



Source link