गर्मियों की तपती धूप और चिलचिलाती लू सिर्फ असहजता ही नहीं लाती, बल्कि कई बार जानलेवा भी साबित हो सकती है. आपने अक्सर सुना या देखा होगा कि कोई व्यक्ति तेज धूप में चलते-चलते अचानक गिर पड़ा. लोग इसे कमजोरी या डिहाइड्रेशन मानकर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन ऐसा करना गंभीर गलती हो सकती है. गर्मी के मौसम में स्ट्रोक और हीट स्ट्रोक का खतरा तेजी से बढ़ जाता है, जो अगर समय पर न संभाला जाए तो जानलेवा साबित हो सकता है.
स्ट्रोक तब होता है जब दिमाग तक खून का फ्लो रुक जाता है या उसमें रुकावट आती है. गर्मी में जब शरीर का तापमान कंट्रोल से बाहर हो जाता है, तो यह स्थिति हीट स्ट्रोक का रूप ले सकती है. हीट स्ट्रोक के कारण दिमाग के तापमान को कंट्रोल करने वाली प्रणाली पर असर पड़ता है, जिससे शरीर और दिमाग दोनों प्रभावित होते हैं. ऐसे में स्ट्रोक की संभावना काफी बढ़ जाती है, खासकर बुजुर्गों, बच्चों और दिल के मरीजों.
हीट स्ट्रोक के लक्षण पहचानेंगर्मी के कारण अचानक गिरना, ज्यादा पसीना आना या फिर पसीना बिल्कुल न आना, चक्कर आना, उलझन, बोलने में दिक्कत, सिरदर्द, त्वचा का लाल और गर्म हो जाना, ये सभी हीट स्ट्रोक और ब्रेन स्ट्रोक के संकेत हो सकते हैं. कुछ मामलों में व्यक्ति बेहोश भी हो सकता है.
क्या करें और क्या न करेंअगर किसी को चलते समय चक्कर आकर गिरने जैसी स्थिति हो, तो तुरंत उसे छाया वाली जगह पर ले जाएं. कपड़े ढीले करें, ठंडे पानी की पट्टियां करें और तुरंत मेडिकल हेल्प लें. घर से निकलते समय सिर को ढकें, पानी की पर्याप्त मात्रा लें और दोपहर 12 से 3 बजे के बीच बाहर निकलने से बचें. इलेक्ट्रोलाइट्स और फलों का सेवन भी शरीर में पानी और नमक की कमी को पूरा करता है.
डॉक्टरों की सलाहहेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार, गर्मी के मौसम में शरीर का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा होने पर दिमाग पर असर पड़ सकता है. ऐसे में यह केवल थकावट नहीं, बल्कि हीट स्ट्रोक या स्ट्रोक की ओर इशारा हो सकता है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.