Uttar Pradesh

Daily routine of a naga sadhvi and sadhu an interview with a naga sadhvi – भोजपुरी में पढ़ें



पूर्वी उत्तर प्रदेश के एगो नागा साध्वी से कोलकाता में अचानके भेंट हो गउवे. उनका से का बातचीत भउवे, ऊ रउरो पढ़ीं. पहिले उनकर केंद्रीय बात सुन लीं- कुंभ मेला में नागा साधु लोगन के शरीर पर कौनो कपड़ा ना रहला के बड़ा गहिर अर्थ बा. कपड़ा ना पहिरल माने अपना के छद्म भा कृत्रिम चीज से अनावृत्त कइल. माने- शरीर पर कपड़ा नइखे. एकर एगो तात्विक अर्थ बा. नागा साध्वी कहुई- “हमनी का अपना के मानसिक रूप से जतने बनावटी चीज से अनावृत्त करब जा, ओतने ईश्वर के करीब पहुंचब जा. जहां आवरण रही ओइजा ईश्वर ना रहिहें. ओही आवरणहीनता, अनावृत्तता के प्रतीक नागा साधु आ साध्वी ह लोग.

भ्रम आ सच्चाईआमतौर पर लोगन में एगो भ्रम बा कि कुल नागा साधु साल भर लंगटे रहेला लोग. बाकिर एमें पूरा सचाई नइखे. कुछ नागा साधु त हिमालय के गुफा भा कुटिया में रहि के कठिन साधना करेला लोग. त ओह लोगन के साल भर लंगटे रहल संभव बा. बाकिर जे नागा साधु भा साध्वी समाज के बीच रहेला ऊ कपड़ा पहिर के रहेला. बाकिर ओकर कपड़ा दर्जी के सीयल ना रहे. बिना सीयल कपड़ा रहेला. एगो चद्दर के गर्दन के चारो ओर बांन्हि के भा एगो लुंगी नियर कपड़ा आ बीच में छेद कइल (ताकि मूड़ी ढुक जाउ) कुर्ता नियर कपड़ा रहेला. समाज में लंगटे रहल संभवो नइखे. त ई नगा साध्वी बिना सीयल कपड़ा पहिरले रहुई आ चद्दर के ऊपर बड़ गमछा से अपना के बहुते शालीन ढंग से ढंकि लेले रहुई. तबो हमरा अंदाज ना लागित. बाकिर जब उनकर जटा- जूट देखुईं त हमार अंदाज पक्का विश्वास में बदलि गउवे. हो न हो, ई नागा साध्वी हई. हम उनका के सरधा से प्रणाम कइके बतियावे लगुवीं.

नागा साध्वी बहुते सहज ढंग से बतियउवी. हम त डेरात रहुईं, बाकिर कुछ देर बतियवला पर हमार डर खतम हो गउवे आ डर के जगह पर उत्सुकता कब्जा जमा लिहुए. उनकरे से पता चलुए कि समाज में रहे वाला नागा साधु कइसे जीवन बितावेला.

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नागा जीवन के एगो अउरी पहलू बा. कठिन से कठिन साधना से नागा साधु – साध्वी लोग पीछा ना हटेला. बिना खइले- पियले 48 भा 72 घंटा एकही आसन पर बइठि के साधना कइल नागा लोगन खातिर सामान्य बात बा. जौन नागा साधु खाली 24 घंटा साधना कइला का बाद उठि जाला ओकरा के अति साधारण नागा साधु कहल जाला. हं, 48 भा 72 घंटा भा एक सप्ताह ले जे एक बइठकी में साधना करी, ऊहे सीनियर साधु कहाई. पहाड़ भा जंगल में रहे वाला नागा साधु लोग जंगली जीव जंतु से रक्षा खातिर लाठी, भाला भा बरछी राखेला. हालांकि ईहो सच्चाई बा कि आजु ले कौनो नागा साधु पर कौनो जंगली जानवर हमला नइखे कइले. बाकिर आत्मरक्षा खातिर ऊ लोग अपना पासे कुछ ना कुछ राखेला. पहिले नागा साधु लोगन के अस्त्र- शस्त्र के शिक्षा भी दीहल जात रहल ह. बाकिर अब ना दीहल जाला. हम पुछनी कि नागा परंपरा में गांजा पीयल भी जरूरी होला? साध्वी कहली कि ना, हर नागा साधु गांजा आ पीएला. कुछ साधु धूम्रपान करेले बाकिर गांजा ना पीयसु. ओह लोगन के धूम्रपान में एगो खास किस्म के जड़ी- बूटी मिलावल रहेला. बाकिर ई प्रयोग बहुत सीमित बा.

हम पुछनीं कि नागा साधु लोग अपना इंद्रिय पर कइसे कंट्रोल करेला. त साध्वी कहली कि जे 72 घंटा बिना खइले- पियले, बिना सुतले साधना करता, ऊ बिना कंट्रोले के बा? जब तक ले शरीर आ मन पर कंट्रोल ना

रही, साधना होखबे ना करी.तीन गो चीज गहन साधना खातिर जरूरी बा, 1- इंद्रिय चेतना से मुक्ति, 2- ई सोच कि साधना में “कठिन” नामक काम हइए नइखे, 3- खूब गहिर भक्ति भाव. अगर ई तीन गो आधार हउवन स नागा साधु – साध्वी जीवन के. शरीर पर आवरण नइखे माने जौन शरीर पंच तत्व (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु आ आकाश) से बनल बा, ऊ फेर पंच तत्व में मिल जाई. त इंद्रिय भी पंच तत्व में मिल जाई. रहि गइल हमनी के मनोवृत्ति, माने मन के वृत्ति. ऊ मृत्यु का बाद भी हमनी का संगे रहेला. ओकरे से मुक्ति खातिर साधना कइल जाला. मृत्यु का घरी जब कौनो मनोवृत्ति ना रहे, त ओह जीव के मुक्ति मिल जाला. ऊ ईश्वर में मिल जाला. ईश्वर के मिले के रास्ता में कई गो प्रलोभन आवेलन स. सिद्धि मिल जाला. ईश्वर के खोज छोड़ि के कई साधक लोग ओह सिद्धि के प्रदर्शन में रुचि लेबे लागेला. बस ओही घरी ओह लोगन के पतन के रास्ता साफ हो जाला. जीवन के आखिरी क्षन में ओह लोगन के आभास मिलेला कि सिद्धि आ चमत्कार के पीछे परि के बहुत बड़ नोकसान हो गइल. ईश्वर से दूरी हो गइल. एही से कतने साधक बिना कौनो लोभ, लाभ के साधना में डूबल रहेला आ मुक्त हो जाला. अइसन कतने साधक बाड़े जेकरा के केहू जानते नइखे.

नागा साध्वी के बात सुनि के मन प्रसन्न हो गउवे. सचहूं, हमनी के संसारी जीव खाली नीमन खाए, पहिरे आ इंद्रिय सुख भोगे खातिर पागल भइल रहेनी जा. घोर संसार के मोह- माया में लपिटाइल रहेनीजा. सांसारिक जीवन बितावल कौनो खराब बात नइखे, बाकिर सांसारिक जीवन में साधना जुड़ि जाउ, जप- तप भा ध्यान जुड़ि जाउ त जीवन के रूपांतरण हो जाई. नागा साध्वी के बारंबार प्रणाम बा.

( डिसक्लेमर : लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और ये उनके निजी विचार हैं.)
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|Tags: Bhojpuri article, Sadhu SantFIRST PUBLISHED : March 15, 2023, 16:54 IST



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