Uttar Pradesh

Counting team took selfie with dolphin at hastinapur ganga ghat nodelsp



मेरठ. वन विभाग वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (Forest Department Wildlife Institute of India) और WWF की पांच टीमें जलीय जंतु डॉल्फिन की गणना में जुटी हैं. इस बार डॉल्फिन (Dolphin) की काउंटिंग के दूसरे दिन न सिर्फ डॉल्फिन कैमरे में क़ैद हुई, बल्कि टीम ने भी इस खूबसूरत जलीय जंतु के साथ सेल्फी ली.
गौरतलब है कि इस बार बिलकुल नए तरीके से डॉल्फिन की गणना की जा रही है. गंगा नदी में पाई जाने वाली गंगा डॉल्फिन सुसु जो कि भारतीय एक्वेटिक एनिमल का दर्जा प्राप्त है, उसकी साइंटिफिक गणना उत्तर प्रदेश वन विभाग वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया देहरादून और डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की संयुक्त 5 टीमें नई पद्धति के आधार पर गणना कर रही हैं. इस वर्ष डायरेक्ट साइटिंग के अलावा तकनीकी यंत्रों का उपयोग कर डॉल्फिन की तरंगों की स्टडी करना और इको सोनार तकनीकों से सतह के आसपास भी डॉल्फिन की गणना की जा रही है.
मेरठ जनपद में हस्तिनापुर वन्य जीव विहार के अंतर्गत प्रवाहित होने वाली गंगा नदी में 5 दिसंबर और 6 दिसंबर को 5 टीमों में कुल 25 सदस्य डॉल्फिन की गणना साइंटिफिक रूप से करेंगे. डॉल्फिन गंगा नदी की सेहत और उसकी पारिस्थितिकी तंत्र की सेहत का एक परिचायक है. डॉ कुरेशी, WII, सहानवाज WWF, हस्तिनापुर फॉरेस्ट विभाग टीम इस गणना में शामिल है.
हाईटेक तरीके से इस जलीय जन्तु की गणना शुरू
गैंगेटिक डॉल्फिन का एक नज़ारा सभी को प्रफुल्लित कर देता. गंगा की गोद में अटखेलियां करने वाली ख़ूबसूरत डॉल्फिन की संख्या में जब इज़ाफा होता तो ये ख़ुशी कई गुना और बढ़ जाती है. डॉल्फिन की गणना में कहीं कोई चूक न रह जाए इसलिए इस बार चार दिसम्बर से बेहद हाईटेक तरीके से इस जलीय जन्तु की गणना शुरु हुई है. इस बार ईको मैथेड साउंड और डायरेक्ट साइटिंग के तरीके गणना में अपनाए जा रहे हैं. डीएफओ राजेश कुमार का कहना है कि वन विभाग WIA के साथ मिलकर डॉल्फिन सेंसस करेगा.
उन्होंने बताया कि इस बार डॉल्फिन की गणना को लेकर स्टाफ को विशेष ट्रेनिंग दी गई है. राजेश कुमार ने बताया कि डायरेक्ट साइटिंग ईको मैथेड और साउंड के आधार पर जब गणना होगी तो ये सटीक होगी. ज़िला वन अधिकारी का कहना है कि क्योंकि डॉल्फिन देख नहीं पाती वो साउंड के आधार पर ही कार्य करती है, इसलिए इस जलीय जंतु के साउंड यानि आवाज़ की तरंगों से गणना की जाएगी. ज़िला वन अधिकारी ने बताया कि चार दिसम्बर से शुरु होकर ये गणना तकरीबन बीस दिन तक चलती रहेगी.
प्रथम चरण में डॉल्फिन की गणना का समापन कानपुर में होगा. सेकेंड फेज़ की गणना की तारीख का एलान बाद में होगा. गौरतलब है कि पिछले सेंसस में गंगा में 41 डॉल्फिन पाई गईं थीं. इस बार वन विभाग को उम्मीद है कि ड़ॉल्फिन का कुनबा हाफ सेंचुरी ज़रुर लगाएगा. यानि फॉरेस्ट डिपार्टमेंट का अनुमान है कि इस बार ये आंकड़ा बढ़कर पचास पार कर जाएगा.

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