Climate change has linked to serious in pregnant women how health of mother and child is deteriorating | क्लाइमेट चेंज की मार झेल रहीं गर्भवती महिलाएं, जानें कैसे बिगड़ रही है मां और बच्चे की सेहत?

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Climate change has linked to serious in pregnant women how health of mother and child is deteriorating | क्लाइमेट चेंज की मार झेल रहीं गर्भवती महिलाएं, जानें कैसे बिगड़ रही है मां और बच्चे की सेहत?



जलवायु परिवर्तन का असर अब सिर्फ पर्यावरण या मौसम तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसका गहरा प्रभाव इंसान की सेहत पर भी पड़ रहा है. एक नई रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि बढ़ते तापमान का गर्भवती महिलाओं पर खतरनाक असर हो रहा है, जिससे मां और बच्चे दोनों की सेहत खतरे में पड़ रही है.
क्लाइमेट सेंट्रल द्वारा किए गए अध्ययन में बताया गया है कि 2020 से 2024 के बीच दुनिया के 247 देशों में गर्भवती महिलाओं के लिए खतरनाक गर्मी वाले दिनों की संख्या दोगुनी हो गई है. ये वो दिन होते हैं जब तापमान उस क्षेत्र के सामान्य से कहीं अधिक यानी टॉप 5% लेवल से भी ज्यादा होता है. इन्हें प्रेग्नेंसी हीट-रिस्क डेज कहा जाता है.
ज्यादा गर्मी से क्या दिक्कतें?रिपोर्ट के अनुसार, ज्यादा गर्मी के कारण समय से पहले प्रसव, गर्भपात, हाई ब्लड प्रेशर, जेस्टेशनल डायबिटीज, अस्पताल में भर्ती होने और गंभीर कॉम्प्लिकेशन का खतरा बढ़ जाता है. यहां तक कि एक ही दिन की ज्यादा गर्मी भी गर्भवती महिलाओं के लिए खतरनाक हो सकती है.
वैज्ञानिकों का क्या कहना?वैज्ञानिकों का कहना है कि इन समस्याओं का मुख्य कारण फॉसिल फ्यूल का जलना है. कोयला, पेट्रोल और गैस जैसी चीजों का इस्तेमाल धरती के तापमान को तेजी से बढ़ा रहा है. खास बात ये है कि गरीब और विकासशील देश, जो जलवायु परिवर्तन के लिए सबसे कम जिम्मेदार हैं, उन्हीं को इसका सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ रहा है.
अध्ययन में ये भी सामने आया* 247 में से 222 देशों में गर्भवती महिलाओं के लिए गर्मी के खतरनाक दिन दोगुने हो गए.* 78 देशों में तो साल में एक महीना ज्यादा गर्मी से जुड़ी खतरे वाली स्थिति बन गई है.* कैरिबियन, दक्षिण अमेरिका, प्रशांत द्वीप, दक्षिण-पूर्व एशिया और उप-सहारा अफ्रीका जैसे क्षेत्रों में सबसे ज्यादा असर देखा गया है.
एक्सपर्ट की रायजलवायु विशेषज्ञ डॉ. क्रिस्टिना डाहल कहती हैं कि हर देश इस खतरे की चपेट में है. यह सिर्फ पर्यावरण की नहीं, अब महिला और बच्चे की सेहत की भी गंभीर चिंता है. वहीं महिलाओं के हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. ब्रूस बेक्कर का मानना है कि फॉसिल फ्यूल का इस्तेमाल कम करना अब केवल पृथ्वी के लिए नहीं, बल्कि मां और नवजात की सुरक्षा के लिए भी जरूरी हो गया है.



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