Uttar Pradesh

चुनावी किस्‍से: कौन था वो नेता, जो चुनाव में उतरा तो महिलाओं ने बैलेट पेपर पर छोड़ी लिपस्टिक की छाप



आजादी के बाद हुए पहले लोकसभा चुनाव से लेकर अब तक हर बार प्रचार, मतदान और वोटिंग के बाद कुछ ऐसी मजेदार घटनाएं होती रही हैं, जो दशकों तक लोगों को याद रह जाती हैं. कई बार नेताओं ने विपरीत हालात में भी चुनाव प्रचार किया तो कभी संसाधनों की कमी के बाद भी मतदाताओं से मिलकर प्रत्‍याशी को जिताने की अपील. चाहें चमगादड़ों के शोर पर पंडित जवाहर लाल नेहरू का ‘कीप साइलेंस’ कहना हो या नाक टूटने के बाद या बिजली गुल होने के बाद टार्च की रोशनी में इंदिरा गांधी का जनता के बीच जाकर भाषण देना हो, सब लोगों को आज तक याद है. ऐसी ही एक घटना पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्‍या के बाद हुए लोकसभा चुनाव 1984 से जुड़ी हुई है.

लोकसभा चुनाव 1984 में इलाहबाद सीट से बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्‍चन ने कांग्रेस के टिकट पर ताल ठोकी थी. उनके प्रतिद्वंद्वी भारतीय लोकदल के दिग्‍गज नेता हेमवती नंदन बहुगुणा थे. बता दें कि उन्‍होंने 1977 में कांग्रेस छोड़कर जनता पार्टी को केंद्र की सत्‍ता में पहुंचाने में बड़ी भूमिका निभाई थी. इस चुनाव में बहुगुणा को अमिताभ बच्‍चन के सामने करारी शिकस्‍त मिली थी. दरअसल, इंदिरा गांधी की हत्‍या के बाद पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कंधों पर कांग्रेस को जिताकर सत्‍ता में वापसी कराने की जिम्‍मेदारी आ गई थी. आम जनता की पूरी सहानुभूति कांग्रेस के साथ थी. कांग्रेस को बहुगुणा से हिसाब बराबर करना था. इसलिए राजीव गांधी ने अपने दोस्‍त अमिताभ बच्‍चन को इलाहबाद सीट से मैदान में उतार दिया.

लिपस्टिक की छाप के कारण हजारों वोट हुए अवैधअमिताभ बच्‍चन जहां भी चुनाव प्रचार के लिए जाते, लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती. उनका ये जलवा मतदान और फिर नतीजों में भी नजर आया. बता दें कि तब बैलेट पेपर के जरिये मतदान होता था. फिर जब मतगणना हुई तो अधिकारी ये देखकर चौंक गए थे कि हजारों मतपत्रों पर अमिताभ बच्‍चन के पक्ष में मतदान तो किया ही गया था, साथ ही महिला मतदाताओं ने बैलेट पेपर पर लिपस्टिक की छाप भी छोड़ी थी. हालांकि, ऐसे करीब 4,000 मतों को अवैध घोषित कर दिया गया था. इसके बाद भी अमिताभ बच्‍चन ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भारतीय लोकदल के दग्गिज नेता हेमवती नंदन बहुगुणा को 1,09,666 के मुकाबले 2,97,461 से हराया.

लोकसभा चुनाव 1984 के प्रचार अभियान के दौरान हेमवती नंदन बहुगुणा और अमिताभ बच्‍चन के बीच जमकर डायलॉगबाजी हुई थी.

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अमिताभ को इलाहबाद सीट से क्‍यों उतारा गया?राजनीति में अमिताभ बच्चन की पारी धमाकेदार जीत के साथ शुरू हुई थी. हालांकि, पांच साल का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही बोफोर्स विवाद की आंच उनके दामन तक भी पहुंच गई. अमिताभ ने लोकसभा की सदस्यता छोड़ी और राजनीति से जल्दी ही तौबा कर ली. फिर जल्द ही उन्‍होंने राजनीति से पूरी तरह से दूरी बना ली. अब सवाल ये उठता है कि राजीव गांधी को अमिताभ बच्‍चन को ही इलाहबाद सीट से उतारने का फैसला क्‍यों लेना पड़ा था? दरअसल, पहले इस सीट से कांग्रेस नेता केपी तिवारी को प्रत्‍याशी बनाया गया था. लेकिन, जब बहुगुणा ने इस सीट से लड़ने का फैसला किया तो कांग्रेस ने अचानक अमिताभ बच्‍चन का नामांकन भरवा दिया. इससे बहुगुणा को किसी दूसरी सीट के बारे में सोचने का मौका ही नहीं मिला. नतीजा ये निकला कि कांग्रेस उत्‍तर प्रदेश की 85 में से 83 सीटें जीत गई.

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बहुगुणा के काम पर भारी पड़ा अमिताभ का ग्‍लैमरकांग्रेस के रणनीतिकारों का अमिताभ बच्‍चन को इलाहबाद सीट से उतारने का पैंतरा पहले दिन से काम कर गया था. चुनाव प्रचार के दौरान इलाहाबाद में अमिताभ बच्चन की धूम रही थी. नौजवान मतदाता अमिताभ की एक झलक के लिए घंटों इंतजार करते रहते थे. लड़कियां उन पर अपने दुपट्टे फेंक देती थीं. हेमवती नंदन बहुगुणा जनसभाओं में इलाहाबाद से जिंदगी भर के अपने रिश्ते और काम की याद दिलाते रहे. लेकिन, अमिताभ बच्‍चन का ग्लैमर सब पर भारी पड़ रहा था. वहीं, उनकी जड़ें इलाहाबाद में होने का भी उन्‍हें भरपूर फायदा मिला. इलाहाबाद की चुनावी सभाओं में अमिताभ कह रहे थे कि मैं जहां भी जाता हूं, छोरा गंगा किनारे वाला कहलाता हूं. प्रचार के बाद मतदान और फिर नतीजा बच्‍चन के पक्ष में रहा.

पूर्व पीएम राजीव गांधी ने बहुगुणा को इलाहबाद में उलझाए रखने के लिए अमिताभ को इलाहबाद से मैदान में उतारा था.

अमिताभ ने कहा, राजनीति में कदम रखना गलती थीबॉलीवुड के महानायक की जीत बेशक बेहद धमाकेदार थी. लेकिन, उनकी राजनीतिक पारी बहुत छोटी रही. बोफोर्स घोटले की आंच ने गांधी परिवार से भी उनकी दूरियां बढ़ा दीं. उन्‍होंने लोकसभा सदस्‍यता से कार्यकाल पूरा होने के पहले ही इस्‍तीफा दे दिया. फिर उन्‍होंने यह कहते हुए राजनीति को अलविदा कह दिया कि राजनीति में कदम रखना एक गलती थी. मैं भावनाओं में बहकर चुनावी मैदान में उतर गया. फिर मुझे अहसास हुआ कि राजनीति असल भावनाओं से अलग हैं. आखिर में मैंने हार मान ली.
.Tags: 2024 Lok Sabha Elections, Allahabad lok sabha election, Amitabh bachchan, BJP, Bollywood actors, Congress, Rajiv Gandhi, Rastriya lok dal, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : April 6, 2024, 22:17 IST



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