नई दिल्ली: राजनीतिक दलों को चंदा से जुड़े चुनावी बॉण्ड योजना को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है. शीर्ष अदालत के इस फैसले की व्यापक स्तर पर चर्चा हो रही है. इसके तर्क और विपक्ष में काफी बातें कही जा रही हैं. इस योजना और सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सीधे तौर पर देश का निर्वाचन आयोग भी जुड़ा हुआ है. ऐसे में आयोग की ओर से भी इसको लेकर प्रतिक्रिया आई है.

राजनीतिक वित्तपोषण से संबंधित चुनावी बॉण्ड योजना को रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए निर्वाचन आयोग के सूत्रों ने कहा कि पारदर्शिता आयोग की पहचान रही है. प्रधान न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने निर्देश दिया कि भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को राजनीतिक दलों द्वारा हासिल किए गए प्रत्येक चुनावी बॉण्ड के विवरण का खुलासा करना होगा.

सुप्रीम फैसलासंवैधानिक पीठ ने कहा कि इस संबंध में दी जाने वाली जानकारी में बॉण्ड जारी करने की तारीख और रकम का उल्लेख होना चाहिए तथा यह छह मार्च तक निर्वाचन आयोग (ईसी) को दी जानी चाहिए. इस बारे में पूछे जाने पर निर्वाचन आयोग के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हमारे पास सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कहने के लिए कुछ नहीं है.’’

सूत्रों ने बताया कि फैसले का स्वागत करते हुए निर्वाचन आयोग ने हमेशा पारदर्शिता पर जोर दिया है. इस संबंध में एक सूत्र ने कहा, ”पारदर्शिता आयोग की पहचान रही है.” पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा ने भी यही विचार व्यक्त किए. अरोड़ा ने कहा कि व्यवस्था और अधिक पारदर्शी होनी चाहिए तथा आयोग का हमेशा यही रुख रहा है.

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने यह भी कहा कि आयोग को एसबीआई द्वारा साझा की गई जानकारी 13 मार्च तक अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित करनी होगी. प्रधान न्यायाधीश ने फैसला सुनाते हुए कहा कि यह योजना संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है.

(इनपुट भाषा)
.Tags: Election commissionFIRST PUBLISHED : February 16, 2024, 01:45 IST



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